हमे आपदाओं और महामारियों ने घेर लिया। पहले दैनिक हवन होता था। फिर पाक्षिक हुआ , फिर हवन मासिक ,फिर साल में दो बार नवरात्रियो के समय आजकल तो कोई हवन ही नही करता। जिसके भयावह परिणाम हमारे सामने है।
उल्लेखनीय है कि विषाणु और जीवाणु सूक्ष्मजीवी होने से दिखाई नही देते । इसका मतलब यह नही है कि वे होते ही नही । उसी प्रकार से दैविक शक्तियां वातावरण में होती तो है परन्तु दिखाई नही देती । यज्ञ और मंत्रोच्चारण के अभाव में वे निष्क्रिय रहती है । जैसे ही हम वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ यज्ञ करते है वे चैतन्य और सक्रिय होकर हमारे आस पास एक अदृश्य सुरक्षा चक्र बनाती है । जो हमे उत्तम स्वास्थ्य और समृध्दि प्रदान करती है ।
कई लोग हवन या यज्ञ से करने से इसलिए बचते रहते है कि यह एक वृहद अनुष्ठान है ।इसमें काफी व्यय होता है । लोगो की यह धारणा गलत है । नियमित या साप्ताहिक हवन में अधिक व्यय नही आता है । किसी को आमांत्रित कर भोजन कराने की आवश्यकता भी नही है । हवन या यज्ञ नितान्त आध्यात्मिक पारिवारिक कार्यक्रम है । इसके माध्यम से विष्णु शिव ब्रह्मा ही नही इंद्र वरुण अग्नि सहित समस्त देवता आमांत्रित होते है और आहुतियों के माध्यम से हविष्य प्राप्त करते है