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Monday, December 24, 2018

कर्म पलायन नही उत्तदायित्व है

धर्म वह जो कर्म को प्रखर कर दे
धर्म वह नही जो कर्म की गति को मंथर कर दे
वास्तव में धार्मिक होना और धार्मिक दिखना
अलग अलग बात है
धार्मिक होने और धार्मिक दिखने दोनों में अंतर है
जरूरी नही की जो मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा जाए
वह धार्मिक है धार्मिक वह भी हो सकता है
जो बिना किसी धर्म स्थल जाए शुभ कर्मों को धारण करता हो ।
कर्म ही चेतना है कर्म है जीवन है
जो कर्म से विमुख हो जो धर्म के नाम पर
दायित्व से पलायन करते है वे धार्मिक नही है
धर्म पलायन नही उत्तदायित्व की अनुभूति है

अपील

Procedure Code, 1908 — Or. 41 R. 22:Issues decided in favour of appellant, not having been challenged by respondent, held, cannot be readjudicated by appellate court. [Biswajit Sukul v. Deo Chand Sarda, (2018) 10 SCC 584]

Tuesday, December 4, 2018

जीवन और मृत्यु

मरना एक न एक दिन सभी को है
परंतु जीवन और मृत्यु उद्देश्य पूर्ण हो तो
उसका जीना सार्थक है मरना भी सार्थक है निरुद्देश्य जीवन और दुर्घटना से हुई मृत्यु में
कोई अंतर नही है
कोई परोपकार समाज सेवा
देश धर्म के लिए जीवन जीता है तो
कोई मात्र स्वार्थ पूर्ति के लिए जीता है
कोई बीमार होकर रुग्ण शैय्य्या पर
दुर्घटना में घायल होकर मरता है
तो कोई देश की सीमा पर लड़ते लड़ते है
अपने कर्तव्य की पूर्ति में मरता है
उसे इतिहास याद रखता है
डरना मना है उस मृत्यु से जो आकस्मिक दुर्घटना से हो सकती है कभी कभी दुर्घटनाये होती नही आमंत्रित की जाती है आकस्मिक हुई दुर्घटना से हुई मृत्यु उद्देश्य पूर्ण जीवन का समापन है निरुद्देश्य जीने वाले को इससे कोई फर्क नही पड़ता ।कई बार जीवन भी मृत्यु से भयावह हो सकता है ऐसा तब होता है जब व्यक्ति का आत्म विश्वास बुरी तरह से टूट जाता है परस्पर रिश्तो का विश्वास चकनाचुर हो जाता है व्यक्ति की प्रतिष्ठा और धन नष्ट हो जाता है व्यक्ति का चरित्र समाप्त हो जाता है व्यक्ति विवेक और ज्ञान शून्य हो जाता है तब ऐसा व्यक्ति आत्मघाती कदम उठा लेता है और यही आत्महत्या का कारण भी होता है

Monday, November 26, 2018

मुक्ति का मार्ग

जीवन और मृत्यु जीवन के शाश्वत सत्य है 
आत्मा के अस्तित्व को प्रत्येक धर्म ने स्वीकारा है 
परन्तु पुनर्जन्म को मात्र सनातन हिन्दू धर्म
 एवं जुडी भिन्न भिन्न शाखाओ ने मान्यता दी है 
पुनर्जन्म कहा होगा कैसे होगा ?
यह व्यक्ति के कर्म निर्धारित करते है 
योग की सर्वोच्च अवस्था मुक्ति होती है 
मोह से मुक्ति बंधनो से मुक्ति 
बहुत से लोग पुनर्जन्म के अभिलाषी होते है 
तो अल्प  मात्रा में वे लोग होते है 
जो मोक्ष की कामना करते है 
मोक्ष अर्थात जन्म जन्मांतर से मुक्ति 
पूर्ण रूपेण निराकार ईश्वर में समाहित हो जाना 
प्रश्न यह है कि मुक्ति का मार्ग क्या है ?
कई सालो की साधना से वरदानी सिद्धिया प्राप्त की जा सकती है
 पर मुक्ति नहीं 
 संसार से पलायन कर संन्यास लिया जा सकता है 
पर मुक्ति नहीं 
व्यक्ति जहा जाता है वहा मोह और कर्म के बंधन 
उसका पीछा पकड़ते जाते है 
मुक्ति प्राप्त करने के लिए कर्तव्य से
 पलायन की आवश्यकता नहीं है 
कर्तव्यों के समुचित पलायन करते हुए 
कर्म में शुध्दता से मुक्ति का मार्ग पाया जा सकता है 
यह सदैव देखने में आता है 
व्यक्ति जिस वस्तु या विषय से भागता है 
वह उसका पीछा करती है
 इसलिए संसार में रहते हुए 
पूर्ण योग्यता और प्रखरता से अपेक्षता से रहित
 कर्म किया जाए 
तो  कर्म से जुड़े व्यक्ति या विषय में 
आसक्ति रही रहती 
आसक्ति नहीं रहने से हम उन्मुक्त हो जाते है 
उन्मुक्तता जब आत्मा का 
संस्कार बन जाता है 
तो मृत्यु के पश्चात उस  आत्मा के लिए 
मुक्ति द्वार खुल जाते है 

 

Saturday, November 24, 2018

संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार धीरे धीरे विघटित होते जा रहे है वैसे वैसे सामाजिक समस्याएं विकराल होती जा रही है| परम्पराये संस्कार विलुप्त होते जा रहे है आज भी मझौले शहरों में और ग्रामीण क्षेत्रों में संयुक्त  परिवारों का कही कही अस्तित्व दिखाई देता है तो सुखद अनुभूति होती है संयुक्त परिवारों में एक प्रकार का अनुशासन दिखाई देता है |छोटे सदस्यों का बड़ो के प्रति आदर का भाव बड़ो का छोटे सदस्यों के प्रति स्नेह आशीष और सरंक्षण दृष्टिगत होता है|भारतीय संस्कृति और सस्कारो अस्तित्व बहुत हद तक संयक्त परिवारों से जुड़ा हुआ है जैसे जैसे संयुक्त परिवार विघटित होते जा रहे है|व्यक्ति आत्म केंद्रित होता जा रहा है तलाक और गृह कलह जैसे परिस्थितिया  निर्मित होती जा रही है| संयुक्त परिवार में कार्य का विभाजन मह्त्वपूर्ण कारक होता है|आर्थिक और सामजिक विषयो में घर के वरिष्ठ सदस्य के निर्णयो को अधिक महत्व दिया जाता है उनके मत को बहुत अधिक गंभीरता से सूना जाता है क्रियान्वित किया जाता है संयुक्त परिवारों में व्यवसाय हेतु पूंजी का अभाव नहीं रहता है क्योकि प्रत्येक सदस्य की थोड़ी थोड़ी पूंजी मिल कर व्यवसायिक आवश्यकता हेतु वृहत रूप धारण कर लेती है सभी सदस्यों के पास आभूषण और वस्त्र समान रूप से विध्यमान रहते है किसी के पास अधिक हो तो दूसरी महिला सदस्य उसका उपयोग कर लेती है किसी सदस्य के रुग्ण होने पर उसके उपचार की व्यवस्था स्वतः हो जाती है परिवारमें विपत्ति आती है सभी महिलाये उनके पास विध्यमान आभूषणों को परिवार के हित  के लिए अर्पित कर देती है कमजोर सदस्य को आर्थिक और सामजिक सुरक्षा की आश्वस्ति रहती है  संयुक्त परिवार प्रबंधन के जीवंत उदाहरण है महाभारत हो या रामायण दैत्य हो दानव प्राचीन भारतीय परिस्थितियों में संयुक्त परिवार की अवधारणा को सभी ने अपनाया है संयुक्त परिवार के माध्यम से अपने परिवार समाज राज्य को समृध्द और पुष्ट बनाया है कई प्रकार के प्रतिरोधों का सामना किया है पर संयुक्त परिवार वह कवच  रहा है जहा से परिवार समाज  राज्य ने पुनः अपना सामर्थ्य पाया है|


Friday, November 23, 2018

समय क्या है ?

समय क्या है ? 
समय एक प्रवाह है 
परिस्थितियों का 
समय एक अवसर है जिसको जिसने पहचान लिया 
उसी का हो गया
समय और शख्स को बहुत जरुरी है 
पहचानने के लिए अंतर्दृष्टि चाहिए 
जो हर किसी के पास हो यह जरुरी नहीं है 
जिन लोगो में समय और शख्स को पहचानने की दृष्टि नहीं होती 
वे समय के प्रवाह और भावनाओ  में बहे जाते है
और नित्य नवीन परिस्थितियों में ठगे जाते है 
समय के अश्व को थामा नहीं जा सकता है 
परन्तु समय को बदला जा सकता है 
निरंतर पुरुषार्थ परिश्रम और सतत साधना है
समय भूत है वर्तमान है भविष्य है 
भूत के साथ अनुभव  है ज्ञान है बोध है 
वर्तमान के साथ अनुभूतिया संवेदनाये नित्य नवीन होते रहे शोध है 
भविष्य में अपेक्षाएं महत्वकांक्षाये निरंतर सम्भावनाये है 
समय की सत्ता को जिसने समझा है जाना है 
ईश्वर के अस्तित्व को उसने सही प्रकार से पहचाना है

Thursday, November 8, 2018

गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा का भारतीय सांस्कृतिक परम्परा का अत्यधिक महत्व है। पशुपालन के साथ पर्यावरण के प्रश्न भी जुड़े है द्वापर युग मे जब बिगड़ते पर्यावरण के कारण मौसम का संतुलन बिगड़ने लगा था तो गोकुल की जनता अतिवृष्टि से त्राहि त्राहि करने लगी थी ।उस समय भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत का आश्रय लेने का विचार सामने रखा और उसकी पूजा की परंपरा प्रारम्भ की ।गोवर्धन पर्वत की पूजा का आध्यात्मिक अर्थ के साथ इस उद्देश्य को हमे समझना होगा कि पर्वत और पेड़ हमारे रक्षक है ।वृक्ष पर्वत पर होने से भूमि पर्वत श्रंखलायें हमे तेज हवाओं से बचाती है ।वर्षा का जल भूमि के भीतर पहुचाने में  और मिट्टी के कटाव को रोकने में पेड़ की जड़े  अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।गोवर्धन पर्वत को उंगली पर धारण करने का तात्पर्य यह है कि हम सभी यदि अंश मात्र भी पर्यावरण संरक्षण में सहयोग कर पाए तो हमे किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा का सामना नही करना पड़ेगा ।इसलिए आओ हम गोवर्धन पूजा के इस पर्यावरण की रक्षा का संकल्प ले ।यदि हम एक वृक्ष को बड़ा न कर पाए तो कम से कम किसी पेड़ के ध्वंस का कारण तो न बने यही सच्ची गोवर्धन पूजा होगी

Monday, November 5, 2018

धनतेरस

धन तेरस का धन से कोई संबंध नहीं है।धन तेरस वास्तव में धन्वंतरि(आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देव) जयंती है,कालांतर में यह अपभ्रंश होकर धन तेरस हो गया
शास्त्रों में है प्रथम सुख निरोगी काया
हमारा शरीर सबसे बड़ा धन है इस पंचतत्व के शरीर को स्वस्थ रखने समाज और राष्ट्रहित मे इसका उपयोग ही
ईश्वर की पूजा है

 *धन्वन्तरि जी के जन्मदिवस पर सभी को शुभकामनाएं*

Saturday, September 15, 2018

उत्सव धर्मिता

उत्सव धर्मिता बहुत अच्छी है 
व्यक्ति को उत्सव प्रिय होना चाहिए 
उत्सव से व्यक्ति में उमंगें आती है 
उमंग और उत्साह की स्फूर्ति से 
व्यक्ति ऊर्जा से भरपूर हो जाता है 
उत्सव सार्वजनिक रूप से मनाया जाए तो 
सामाजिक जीवन में 
आनंद का संचार होने लगता है  
परन्तु सार्वजनिक रूप से
 उत्सव मनाने के पीछे जो उद्देश्य थे 
वे धीरे धीरे विस्मृत होते जा रहे है 
निरंतर नवीन कुरीतिया 
और गलत परम्पराये स्थान लेने लगी है 
उत्सव के बहाने 
जबरन चन्दा वसूली ने उत्सव के 
आध्यात्मिक महत्व को 
समाप्त कर दिया है 
उत्सवो  के नाम पर महिलाओ से 
छेड़ खानी कन्याओ के  प्रति  
अश्लील व्यवहार 
नव युवको की उद्दंडता ने 
हमारी शुचित सांस्कृतिक परम्पराओ 
धर्मिक मान्यताओं को 
तोड़ने का प्रयास ही किया है
सड़को पर भीमकाय प्रतिमाऔ के नाम पर 
मार्ग पर अतिक्रमण और 
 देर रात्रि तक  कोलाहल पूर्ण वातावरण 
निर्मित कर हम आवगमन को 
अवरोधित ही नहीं करते है 
अपितु अस्वस्थ और वृध्द व्यक्तियो के 
ह्रदय व्यथित करने के साथ 
विद्यार्थियों के अध्ययन में भी 
बाधा कारित करते है 
उत्सव वह है हमें अपने उत्स से जोड़े
 वह नहीं जो पारस्परिक सम्बन्धो को तोड़े 
इसलिए हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि
 हम उत्सव धर्मिता को बचाये
 




Monday, September 3, 2018

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व

श्री कृष्ण जन्माष्ठमी पर 
श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व का दर्शन करना आवश्यक है 
श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व बहु आयामी है
 प्रश्न यह है कि 
 हम उन्हें किस रूप में देखना चाहते है
श्रीकृष्ण जब गोकुल में गाये चराते थे 
तब पशु पालक थे 
श्रीकृष्ण जब रथ के सारथी थे 
 तब वे कुशल चालक थे 
श्री कृष्ण जब बासुरी बजाते थे 
तब वे संगीतकार थे 
वे जब छंद के रूप गीता का उपदेश कर रहे थे 
तब गीतकार  थे
जब ध्यान मग्न हो जाते थे
 तब वे योगी थे 
निर्धन मित्र सुदामा को सहायता पहुंचाते थे 
तब परम मित्र थे 
वे किंकर्तव्य विमूढ़ अर्जुन के भ्रम दूर कर रहे थे 
तब मार्ग दर्शक थे 
वे रण योध्दा थे ,ज्ञान के पुरोधा थे,
 सम्मोहन से मोहन थे 
नीतिज्ञ और प्रेम के प्रतीक थे
माता पिता को बंधनो से मुक्त किया
 तब वे पुत्र थे 
गुरु पुत्रो को वरुण लोक से मुक्त करवा कर लाये 
तब सच्चे शिष्य थे 
वनवासी पांडवो को वन में भेट कर 
सहायता करते थे 
तब वे सज्जनो के सहायक थे 
द्वारकाधीश थे 
तब समृध्दि और शांति के नायक थे 
उन्होंने पतित नारिया का उध्दार कर 
समाज सुधारक कार्य किया 
सामान्य मनुष्य की तरह 
प्रतिकुलताओ में जीकर 
संघर्ष का सन्देश दिया 
उन्होंने यथार्थ को स्वीकारा 
समय पूरा होने पर मृत्यु का वरण  किया
उनके व्यक्तित्व कर आज भी 
हमें नवीन दिशाए मिलती है 
मन का नैराश्य दूर होता है
 नित नवीन आशाये खिलती है 
श्री कृष्ण एक इतिहास नहीं
 वर्तमान में मिलती प्रेरणा नव है 
श्रीकृष्ण मात्र प्रतिमा नहीं 
आध्यात्मिक अनुभव है
उनके व्यक्तित्व की विशालता 
की अनुभूति हमें रोमांचित कर देती है 
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है उनकी याद 
भावनाये गोपियों से निखरती है 
 


Wednesday, August 15, 2018

भगवान् शिव के गले में नाग क्यों?

भगवान शिव के गले में नाग क्यों रहते है
भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम क्यों करते है
इसके पीछे क्या दर्शन है
 सनातन धर्म में प्रतीक और चित्रो के माध्यम से 
जीवन के गूढ़ रहस्य समझाये गए है
परन्तु इन तथ्यों तरफ किसी ने ध्यान ही दिया
 और उन्हें पूज्य बना दिया । 
भगवान विष्णु  और शिव जी ध्यानस्थ 
अथवा योग निद्रा में रहते है 
तब शिव के गले में नाग 
और विष्णु के शैया में शेषनाग होते है
 अर्थात ध्यान करने से मन के भीतर 
कुविचार रूपी नाग होते है 
वे बाहर निकल जाते है 
तो तन मन 
 कुविचार रूपी जहर से मुक्त हो जाता है
 ऐसे निर्मल चित्त से व्यक्ति जीवन में 
कुछ निर्माण कर पाता है 
अन्यथा दुनिया में दुसरो के अनिष्ट की 
इच्छा पालने वाले लोग
 स्वयं के तन मन को इतना विषाक्त बना लेते है 
कि वे अपना स्वास्थ्य को नुक्सान पहुचाते रहते है 

Sunday, August 5, 2018

मित्रता दिवस

मित्र वह जो रक्त के सम्बन्ध से परे हो

मित्र वह है जिसकी आँखों में आंसू

 मित्र के लिए भरे हो

मित्र वह जो कड़वा बोले पर साथ हो

श्री कृष्ण सुदामा हो अर्जुन पार्थ हो

मित्रता एक पर्व नहीं पूरा युग है

जीवन की संवेदना है प्रीती की भूख है

मित्रता मित्र की भीतर की वेदना जानती है

शब्दों से परे अनुभूतियों को पहचानती है

मित्र वासुदेव का रहा नन्द है

मित्रता कुदरत से दोस्ती का छंद है

मित्र भोले शंकर महादेव है

मित्रता पारदर्शी होती सदैव है

मित्र भाव धारण किया तो धर्म है

मित्रता सक्रियता रहे तो कर्म है

मित्रता में न होता कोई हिसाब है

मित्र होती सृजना सच्ची किताब है

मित्र पवित्र होता बंधन है

मित्र माथे का होता चन्दन है

मित्रता एक प्यास है तो मित्र तृप्ति है

जैसे वेद ऋचाएं उपनिषद की सूक्ति है

मित्रता एक जागरण है आव्हान है

कान्हा की राधा है कृष्ण का गुणगान है

मित्रता एक रस है तो मित्र प्रियतम है

मीरा की भक्ति है ह्रदय की चितवन है

मित्रता दया है कारुण्य है

मित्रता की छाया है तो स्वर्ग भी अरण्य है

मित्र मरूथल में मिल जाए तो जल है

मित्रता विहीन जीवन रहा दल दल है

मित्रता की जाती है न वर्ण है

मित्रता के लिए जान भी दे देता कर्ण है

मित्र ने ही मित्र का घाव भरा है

मित्रता से पर्यावरण है हरी धरा है 

मित्रता पर्वत है नदिया की धारा है 

सागर में मिलकर नदिया ने भी दिल हारा है 

मित्रता दशरथ है जटायु है 

मित्रता से बल पर भी बढ़ जाती आयु है 

मित्रता निभायी तो राम है सुग्रीव है 

मित्रता इंसानियत की रही नीव है 

मित्र जीवन के सही पथ  है 

वनवास में मिला मित्र तो चित्र रथ है 

Tuesday, July 31, 2018

Anticipatory bail

Anticipatory Bail : 82 Important Supreme Court Cases with Head Notes & Citations

1. Kamlesh Singh @ Kamlesh Kumar Vs. State of U.P [04/11/2015]
Prevention Of Corruption - NHRM Scam - Anticipatory Bail - Uttar Pradesh

Citations : 2015 (12) Scale 651
2. Sudhir Vs. State Of Maharashtra [01/10/2015]
Criminal Law - Prevention Of Corruption - Anticipatory Bail - Misappropriation Of Public Fund

Citations : 2015 AIR 3665 : 2015 (12) SCR 387 : 2016 (1) SCC 146 : 2015 (9) JT 120 : 2015 (10) Scale 280
3. Bhadresh Bipinbhai Sheth Vs. State Of Gujarat [01/09/2015]
Criminal Law - Rape - Anticipatory Bail

Citations : 2015 AIR 3090 : 2015 (10) SCR 398 : 2016 (1) SCC 152 : 2015 (8) JT 125 : 2015 (9) Scale 403
4. Ashish Gopaldas Alias Gopikisan Lohia Vs. State Of Maharashtra [10/08/2015]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Grant

Citations : 2015 (7) JT 467 : 2015 (9) Scale 17
5. C. Chandrasekaraiah Vs. State Of Karnataka [13/04/2015]
Prevention Of Corruption - Judgment of Acquittal - Anticipatory Bail

Citations : 2015 (13) SCC 802 : 2015 (4) JT 155 : 2015 (5) Scale 221
6. Teesta Atul Setalvad Vs. State Of Gujarat [19/03/2015]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Right

Citations : 2015 (14) SCC 584 : 2015 (3) JT 314 : 2015 (4) Scale 555
7. Mayank Pathak Vs. State (Govt. of Nct of Delhi) [21/07/2014]
Criminal Law - Cruelty - Anticipatory Bail - Medical Evidence

Citations : 2015 (11) SCC 798 : 2014 (8) Scale 624
8. Arnesh Kumar Vs. State Of Bihar [02/07/2014]
Criminal Law - Cruelty - Dowry - Anticipatory Bail

Citations : 2014 AIR 2756 : 2014 (8) SCR 128 : 2014 (8) SCC 273 : 2014 (7) JT 527 : 2014 (8) Scale 250
9. Artatran Baliar Singh Vs. State of Orissa [01/07/2014]
Criminal Law - Bail - Anticipatory Bail

Citations : 2014 (8) Scale 405


10. Gauri Shankar Poddar Vs. State Of Haryana [28/04/2014]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Entitlement

Citations : 2015 (3) SCC 770
11. Bachu Das Vs. State Of Bihar [03/02/2014]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Application - Maintainability

Citations : 2014 AIR 1317 : 2014 (2) SCR 287 : 2014 (3) SCC 471 : 2014 (2) Scale 41
12. Hema Mishra Vs. State Of U. P. And Ors. [16/01/2014]
Constitutional Law - High Courts - Power - Anticipatory Bail

Citations : 2014 AIR 1066 : 2014 (1) SCR 465 : 2014 (4) SCC 453 : 2014 (2) JT 26 : 2014 (1) Scale 342
13. State Of Madhya Pradesh Vs. Pradeep Sharma [06/12/2013]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Cancellation - Absconder

Citations : 2014 AIR 626 : 2013 (12) SCR 772 : 2014 (2) SCC 171 : 2013 (15) JT 366 : 2013 (14) Scale 626
14. Sudam Charan Dash Vs. State Of Orissa [25/10/2013]
Criminal Law - Anticipatory Bail

Citations : 2014 AIR 536 : 2013 (10) SCR 284 : 2014 (2) SCC 141 : 2013 (14) JT 200 : 2013 (13) Scale 269
15. Sumit Mehta Vs. State Of N. C. T. Of Delhi [13/09/2013]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Amount - Deposit

Citations : 2013 (10) SCR 125 : 2013 (15) SCC 570 : 2013 (11) Scale 374
16. Nasiruddin Vs. State (Nct) Delhi [07/08/2013]
Criminal Law - Anticipatory Bail

Citations : 2013 (7) SCR 1085 : 2014 (13) SCC 579 : 2013 (10) Scale 141
17. Milan Krishna Roy Vs. State Of West Bengal [03/12/2012]
Criminal Law - Medical Negligence - Anticipatory Bail - Doctor

Citations : 2013 (11) SCC 323
18. Padmakar Tukaram Bhavnagare Vs. State Of Maharashtra [26/11/2012]
Criminal Law - Suicide - Anticipatory Bail - Grant

Citations : 2012 (13) SCC 720 : 2012 (11) JT 347 : 2012 (11) Scale 334
19. Vilas Pandurang Pawar Vs. State Of Maharashtra [10/09/2012]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Entitlement - Dismissal

Citations : 2012 AIR 3316 : 2012 (8) SCR 270 : 2012 (8) SCC 795 : 2012 (9) JT 390 : 2012 (8) Scale 577


20. Vilas Pandurang Pawar Vs. State Of Maharashtra [10/09/2012]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - SC/ST - Attrocities

Citations : 2012 AIR 3316 : 2012 (8) SCR 270 : 2012 (8) SCC 795 : 2012 (9) JT 390 : 2012 (8) Scale 577
21. Maruti Nivrutti Navale Vs. State Of Maharashtra [07/09/2012]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Grant - Refusal

Citations : 2012 (7) SCR 979 : 2012 (9) SCC 235 : 2012 (9) JT 285 : 2012 (8) Scale 572
22. Lavesh Vs. State (nct Of Delhi) [31/08/2012]
Criminal Law - Anticipatory Bail

Citations : 2012 (7) SCR 469 : 2012 (8) SCC 730 : 2012 (8) JT 336 : 2012 (8) Scale 303
23. Rashmi Rekha Thatoi Vs. State Of Orissa [04/05/2012]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail

Citations : 2012 (5) SCR 674 : 2012 (5) SCC 690 : 2012 (4) JT 563 : 2012 (5) Scale 123
24. Emmanuel Eric Vs. State Of Haryana Thru. Secretary [27/04/2012]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Granted - Husband

Citations : 2012 (12) SCC 376
25. Tarakant Singh Vs. State Of Bihar [02/04/2012]
Anticipatory Bail - Crime Against Women - Torture

Citations : 2012 (11) SCC 767
26. Shobhan Singh Khanka Vs. State Of Jharkhand [30/03/2012]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Grant

Citations : 2012 (2) SCR 663 : 2012 (4) SCC 684 : 2012 (3) JT 570 : 2012 (4) Scale 78
27. Ramdas Vasu Shetty Vs. State Of Maharashtra [16/03/2012]
Criminal Law - Illegal Loan - Invalid Sale Deed - Anticipatory Bail

Citations : 2012 (4) SCC 511
28. Jai Prakash Singh Vs. State Of Bihar Etc. [14/03/2012]
Criminal Law - Murder - Anticipatory Bail - Cancellation

Citations : 2012 AIR 1676 : 2012 (5) SCR 1 : 2012 (4) SCC 379 : 2012 (3) JT 501 : 2012 (3) Scale 484
29. Jarasindhu Choubey Vs. Amresh Chaubey @ Amresh Kumar Choubey [11/01/2012]
Criminal Procedure - Murder - Anticipatory Bail

Citations : 2012 (12) SCC 455 : 2012 (1) Scale 320


30. Satish Vs. State Of Haryana [31/10/2011]
Constitution Of India - Slp - Rape - Anticipatory Bail

Citations : 2012 (4) SCC 510
31. Dinbandhu Vs. State Of Bihar [23/09/2011]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Condition - Validity

Citations : 2011 (11) SCR 504 : 2011 (13) SCC 618 : 2011 (13) JT 231 : 2011 (12) Scale 1
32. Siddharam Satlingappa Mhetre Vs. State Of Maharashtra and Others [02/12/2010]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Grant - Guidelines

Citations : 2011 AIR 312 : 2010 (15) SCR 201 : 2011 (1) SCC 694 : 2010 (13) JT 247 : 2010 (12) Scale 691
33. Pravinbhai Kashirambhai Patel Vs. State Of Gujarat [08/07/2010]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Cancellation - Grounds

Citations : 2010 AIR 3511 : 2010 (8) SCR 211 : 2010 (7) SCC 598 : 2010 (6) JT 656 : 2010 (6) Scale 537
34. Mukesh Kishanpuria Vs. State Of W. B. [03/05/2010]
Criminal Law - Anticipatory Bail

Citations : 2010 (5) SCR 702 : 2010 (15) SCC 154 : 2010 (5) JT 397 : 2010 (4) Scale 649
35. HDFC Bank Ltd. Vs. J. J. Mannan @ J. M. John Paul [16/12/2009]
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Criminal Law - Anticipatory Bail - Fera - Grounds

Citations : 1998 AIR 631 : 1998 ( 1) SCR 57 : 1998 ( 2) SCC 105 : 1998 ( 1) JT 29 : 1998 ( 1) Scale 12

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Criminal Law - Anticipatory Bail - Unlawful Activity - Tata Tea

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Criminal Law - Fera - Anticipatory Bail - High Courts

Citations : 1998 AIR 696 : 1997 ( 5) Suppl. SCR 566 : 1998 ( 1) SCC 52 : 1997 ( 9) JT 379 : 1997 ( 7) Scale 258
69. State Of Assam Vs. Brojen Gogoi Dr. [24/10/1997]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Tata Tea - Unlawful Activity

Citations : 1998 AIR 143 : 1998 ( 1) SCC 397 : 1998 ( 4) JT 391 : 1997 ( 6) Scale 550


70. State Of Assam Vs. R. K. Krishna Kumar [24/10/1997]
Criminal Law - Anticipatory Bail - Tata Tea - Unlawful Activity

Citations : 1998 AIR 144 : 1997 ( 8) JT 650 : 1997 ( 6) Scale 551
71. State Of A. P. Vs. Bimal Krishna Kundu [03/10/1997]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Question Paper - Leakage

Citations : 1997 AIR 3589 : 1997 ( 4) Suppl. SCR 412 : 1997 ( 8) SCC 104 : 1997 ( 8) JT 382 : 1997 ( 6) Scale 347
72. State Of A. P. Vs. Bimal Krishna Kundu [03/10/1997]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Examination - Leakage

Citations : 1997 AIR 3589 : 1997 ( 4) Suppl. SCR 412 : 1997 ( 8) SCC 104 : 1997 ( 8) JT 382 : 1997 ( 6) Scale 347
73. State Of A. P. Vs. Bimal Krishna Kundu [03/10/1997]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Validity - Non Bailable Offences

Citations : 1997 AIR 3589 : 1997 ( 4) Suppl. SCR 412 : 1997 ( 8) SCC 104 : 1997 ( 8) JT 382 : 1997 ( 6) Scale 347
74. State Of A. P. Vs. Bimal Krishna Kundu [03/10/1997]
Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Non Bailable Offences - Capital Punishment

Citations : 1997 AIR 3589 : 1997 ( 4) Suppl. SCR 412 : 1997 ( 8) SCC 104 : 1997 ( 8) JT 382 : 1997 ( 6) Scale 347
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Criminal Procedure - Anticipatory Bail - Urea Scam - Fera

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Criminal Law - Anticipatory Bail - Notice - High Courts

Citations : 1997 ( 2) SCR 513 : 1997 ( 3) SCC 214 : 1997 ( 3) JT 343 : 1997 ( 2) Scale 359
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Criminal Law - Anticipatory Bail - Stay - Proceedings

Citations : 1998 (9) SCC 348 : 1998 (8) JT 521 : 1996 (7) Scale Sp 20
79. K. L. Verma Vs. State [13/10/1996]

Criminal Law - Anticipatory Bail - Period - Bail

Citations : 1998 (9) SCC 348 : 1998 (8) JT 521 : 1996 (7) Scale Sp 20


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Prevention Of Atrocity - SC/ST - Anticipatory Bail

Citations : 1995 AIR 1198 : 1995 ( 1) SCR 897 : 1995 ( 3) SCC 221 : 1995 ( 2) JT 310 : 1995 ( 1) Scale 658
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Criminal Law - Anticipatory Bail - Interpretation Of Statutes - External Aid

Citations : 1980 AIR 1632 : 1980 (3) SCR 383 : 1980 (2) SCC 565
82. Gurbaksh Singh Sibbia Vs. State Of Punjab [09/04/1980]
Judicial Process - Discretionary Jurisdiction - Anticipatory Bail - Practice & Procedure

Citations : 1980 AIR 1632 : 1980 (3) SCR 383 : 1980 (2) SCC

Sunday, July 29, 2018

सावन की बारिश

सावन का महीना 
हरियाली उमंग उत्सव का महीना है  
सावन की बारिश को 
साहित्यकारों ने 
अपने अपने तरीके से 
रचनात्मकता दी है 
सावन की फुहार बच्चो के साथ 
बड़े और बूढ़ो  को भी सकून देती है 
अभिषेक हवन आदि आध्यात्मिक अनुष्ठानो के लिए इस माह का अत्यधिक महत्व है 
सावन और शिव 
एक दूसरे के पर्याय है 
सावन भी कल्याणकारी है 
शिव भी कल्याणकारी है 
कुपित होने पर 
सावन भी प्रलयंकारी है 
शिव भी प्रलयंकारी है
सावन की हरियाली जीव जन्तुओ को 
तुष्टि और तृप्ति प्रदान करती है 
इसलिए शिव के पशुपतिनाथ 
स्वरूप की सार्थकता 
परिलक्षित होती है 
सावन मन को भाता है सावन में मन कुछ गाता  है 
सावन का सहारा एक छाता है 
सावन में प्रकृति की छटा अद्भुत है निराली है 
बहती हुई नदिया हुई मतवाली है 
कुदरत ने भी अपनी सुंदरता सम्हाली है 
सावन में पंछियो  के कलरव में 
 नियति का गुणगान है 
नियति में नारी है नारी एक शिवा है 
शिव कराते अमृत पान है 
इसलिए सावन में ज्योतिस्वरूप 
शिव का कर लो आव्हान है 
सावन सृष्टि की शुध्दि है शुध्दि में बुध्दि है 
सावन शुचिता का पर्व है 
ऋतुओ का उत्साह है जीवन का गर्व है 
सावन देवताओ का अभिनन्दन है 
नियति का आचमन है 
गंगा और जमुना के चरणों   में
 यह मौसम का वंदन है
सावन भक्तो की भक्ति है संतो की श्रध्दा है 
नदियों  की आरती है
नदियों के शुध्दिकरण  को 
कई शासकीय योजनाए 
क्रियान्वयन को निहारती है 
परन्तु नियति माँ हमारी प्यारी नदियों को
 आकाशीय  निर्मल जल से 
  संवारती है सुधारती है


Friday, July 20, 2018

मै उसे पूजन कहूंगा

Listen to जो मरण को जन्म समझे मैं उसे जीवन कहूँगा -स्व.हरिनारायण शर्मा" निर्भीक" by Rajendra Sharma #np on #SoundCloud https://soundcloud.com/rajendra-sharma-7/tut9e347pill

Wednesday, July 18, 2018

मोह से मुक्त कर दो


किसी भी प्रकार का मोह 
मुक्ति में बाधक है 
जो मोह ग्रस्त है 
वह कितनी भी पूजा पाठ 
व्रत उपवास कर ले
 मुक्त नहीं हो सकता है 
मोह के कई प्रकार होते है 
 भौतिक सम्पदा से मोह 
साधनो से मोह ,व्यक्ति विशेष से मोह,इत्यादि
मोह और प्रेम में अंतर होता है
 प्रेम परमात्म भाव है 
प्रेम में कोई अपेक्षा नहीं रहती 
जबकि मोह में कई प्रकार की 
अपेक्षाएं होती है
प्रेम कर्म की प्रेरणा है ऊर्जा है 
जबकि मोह कर्म का बंधन है 
प्रेम से उपजा कर्म 
धर्म पालन में सहायक है 
जबकि मोह ग्रस्त व्यक्ति 
कर्म से विमुख हो निज धर्म से 
पलायन कर लेना है 
शास्त्रों में मोह रूपी अन्धकार कहा गया है 
मंत्रो में मोह रूपी अन्धकार को 
दूर करने की प्रार्थना की गई है 
मोह रूपी अन्धकार से ग्रस्त हो 
कई तपस्वी अपना तपोबल खो  देते है 
बरसो की साधना
एक क्षण में नष्ट कर देते है 
प्रेम भक्ति का स्वरूप है 
वात्स्ल्य का प्रतिरूप है 
मोह कामना है वासना है 
जबकि प्रेम सच्ची साधना है 
कला से प्रेम व्यक्ति को कलाकार बना देता है 
कुदरत से प्रेम व्यक्ति को 
पर्यावरण विद 
और साहित्य से प्रेम व्यक्ति को 
महान कृतियों का जनक बना देता है 
इसलिए हे !प्रभो
  आप  हर प्राणी के जीवन में
 प्रेम का भाव भर दो मोह से मुक्त कर दो

धार्मिक या धर्मांध

 धर्म कोई सा भी हो
 धार्मिक होना बहुत अच्छा है
परन्तु धर्मांध होना बिलकुल गलत है 
धार्मिक व्यक्ति उदार सहिष्णु 
उदार मना होता है 
जबकि धर्मांध मात्र 
अपने धर्म को ही श्रेष्ठ समझता है 
दुसरो के धर्म को
 हेय  और निकृष्ट समझता  है 
धर्मांध व्यक्ति के मस्तिष्क की स्थिति
 उस कक्ष की तरह होती है 
जिसमे मात्र एक ही दरवाजा होता है 
हवा और प्रकाश के आने जाने के लिए कोई खिड़किया उजालदान नहीं होते है 
जिस प्रकार से बंद कक्ष में 
ऑक्सीज़न की कमी से घुटन सी होती है 
उसी प्रकार धर्मांध व्यक्ति का 
मस्तिष्क जीवन के संजीवनी 
प्रदान करने वाले चिंतन के अमृत से 
वंचित रह जाता है
धार्मिक व्यक्ति अपने धर्म को 
अच्छा मानने के अतिरिक्त 
प्रत्येक धर्म के 
सकारात्मक पक्ष को महत्व देता है 
उसके चिंतन के झरोखो से
 निरंतर ताजे विचारो की प्राण वायु 
आंतरिक चेतना की
 अभिसिंचित करती  रहती है 
धर्मांध व्यक्ति क्रूर हो सकता है 
जबकि धार्मिक व्यक्ति 
संवेदना  से भरपूर होता है 
धार्मिक व्यक्ति कला साहित्य संगीत का 
मर्मज्ञ  होता है प्रगतिशील होना
 उसकी पहचान होती है 
इसलिए जो व्यक्ति धार्मिक होते है 
वे निरंतर प्रगति पथ पर उन्मुख रहते है
इसलिए धार्मिक बनो धर्मांध नहीं 
 

Saturday, July 14, 2018

अस्मिता

अस्मिता आत्मसम्मान 
सुनने में एक जैसे लगते है 
परन्तु आत्म सम्मान से अधिक गहरा अर्थ
 अस्मिता का होता  है 
आत्म सम्मान का सम्बन्ध 
व्यक्ति की भावना से होता है 
जबकि अस्मिता का सबंध व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा निजता 
महिला  की  सुरक्षा से होता है 
महिला की इच्छा के बिना उसकी देह को स्पर्श 
एक अपराध ही नहीं 
महिला वर्ग की अस्मिता पर प्रहार होता है 
व्यक्ति के स्वयं निर्णय लेने की क्षमता पर 
तरह तरह के प्रतिरोध  उसकी 
अस्मिता को नकारना होता है 
व्यक्ति की क्षमताओं को कैद कर 
उसे अपने अनुकूल कार्य करने को बाध्य करना 
व्यक्ति की अस्मिता को खंडित करना है
अस्मिता व्यक्ति परिवार समाज राष्ट्र की हो सकती है 
जबकि आत्म सम्मान व्यक्तिगत होता है 
संस्कृतियों पर आक्रमण 
सामाजिक अस्मिता पर चोट है 
व्यक्ति को उसके इच्छित आजीविका न करने देना
 स्वालम्बन में कठिनाइयाँ उत्पन्न करना
 किसी व्यक्ति में आत्मविश्वास को विचलित कर देना 
समाज परिवार में भय का वातारण पैदा कर देना
अस्मिता पर  प्रहार के कई तरीके हो सकते है 
अस्मिता  शब्द संस्कृत   भाषा  के अस्मि शब्द से 
बना है  जिसका शाब्दिक अर्थ है  "हूँ "
अस्मिता का पूरा अर्थ " मै  हूँ " 
किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास  का पैमाना 
अस्मिता ही होती है 
यदि किसी व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर 
करना हो तो उसकी अस्मिता को चोट 
पहुंचाई जाती है 
इसलिए व्यक्ति के सामाजिक सुरक्षा की गारंटी 
समृध्दि अस्मिता है 
जिस व्यक्ति में अस्मिता बोध नष्ट हो जाता है 
उसकी बहु आयामी चेतना शून्य हो जाती है 
वह  गौतम ऋषि पत्नी अहिल्या की तरह 
पाषाणवत हो जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम 
श्री राम ने तत्समय अहिल्या की 
अस्मिता को जगाया था 
 

Sunday, July 8, 2018

खरारी भूषण

त्रेता युग मे खर दूषण नामक राक्षस थे जिनके पास 14000 सैनिक थे वनवास के दौरान श्रीराम से उक्त राक्षसों से युध्द हुआ था उसमें जिस धनुष का श्रीराम द्वारा उपयोग किया गया था उसे खरारी भूषण कहा जाता है संस्कृत में अरि का अर्थ शत्रु कहा गया है श्रीराम के जीवन वह पक्ष जो वनवास गमन के पश्चात और हनुमान मिलन के पूर्व का महत्वपूर्ण है क्योंकि तब न तो उनके पास अयोध्या का वैभव और सैन्य दल था और न ही विशाल वानर सैना थी हनुमान जी जैसा सेवक भी तब उनके साथ नही था उस समय उनके पास मात्र भ्राता लक्ष्मण और पत्नी सीता सहित खरारी भूषण धनुष था एक साथ दोनो भाइयो द्वारा चौदह हजार सैनिको सहित खर दूषण दैत्यों का संहार करना चमत्कारिक है और उनकी सामर्थ्य को समझने के लिए पर्याप्त है । सत्य अर्थ में भगवान राम वह कार्य काल ही वनवास था ।स्वयं के परिश्रम से कुटिया बनाकर रहना ।वृक्षो से फल तोड़ कर भोजन करना ।बचे हुए समय मे अत्रि अगस्त्य ऋषियों से भेंट करना एक ऐसे व्यक्तित्व को हमारे सामने लाकर खड़ा करता है जो अद्भुत शक्तियों का स्वामी होते हुए सामान्य व्यक्ति की तरह संघर्ष कर जीवन अभावो में जीवन जीता है व्यक्ति जब तक अभावो का अनुभव नही करता तब तक संवेदनशील नही हो सकता ।संवेदनशीलता प्राप्त करने के लिए जीवन में साधनों प्रचुरता होना बाधक है अभाव अपमान कष्ट साधक है ऐसे में खरारी भूषण याद आता है धन्य है वह भूषण जो श्रीराम का अभावो में साथी रहा