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Tuesday, March 13, 2012

समाधान पुरुष

वर्तमान व्यवहारिक स्थितियों में 
पुरुष चार श्रेणियों में विभक्त किये जा सकते है 
प्रथम प्रकार के पुरुष जिन्हें जड़ पुरुष कहा जा सकता है 
द्वितीय प्रकार के पुरुष जिन्हें समस्या पुरुष कहा जा सकता है 
तृतीय प्रकार के पुरुष को कापुरुष  अथवा पलायन पुरुष कहते है चतुर्थ प्रकार के पुरुष को समाधान पुरुष कहते है 
जड़ पुरुष का आशय यह है
 कि ऐसे पुरुष जिनकी मानसिक चेतना शून्यवत हो 
अर्थात जो दूसरों के आदेशानुसार कार्य करने में समर्थ हो 
स्वयं अपने विवेक से निर्णय लेने में समर्थ नहीं हो 
समस्या पुरुष वे होते है जो स्वयं तो समस्याग्रस्त होते ही है 
जहाँ जाते हैं समस्या खड़ी कर देते हैं या समस्याएँ स्वयं वहां उत्पन्न हो जाती हैं 
 ऐसे पुरुष समस्याओं का रोना ही रोते रहते है  
कापुरुष ऐसे पुरुष होते है
 जिन्हें दुसरे शब्दों में पलायनपुरुष भी कहा जा सकता है 
पलायनपुरुष वे पुरुष होते है 
जो समस्या खड़ी होने पर समस्यास्थल से तुरंत पलायन कर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर चले जाते है 
पुरुषों की सर्वोत्तम श्रेणी समाधान पुरुष की होती है 
ऐसे पुरुष समाज में अल्पमात्रा में पाए जाते है 
इस श्रेणी के पुरुष सभी प्रकार की समस्याओं के समाधान खोजने हेतु तत्पर रहते है
 वे विकट परिस्थितियों से पलायन नहीं करते अपितु उनका दृढ़ता से मुकाबला करते है
 घोर विषम परिस्थितियों में समस्या के समाधान के नए विकल्प तलाशते है 
वर्तमान परिस्थितियों में ऐसे पुरुष समाज में विद्यमान है 
किन्तु अधिक मात्र में ऐसे पुरुषों की समाज, परिवार एवं राष्ट्र को आवश्यकता है 
द्वापर युग में भगवान् श्रीकृष्ण समाधान पुरुष थे 
जिन्होंने  हर  प्रकार कि समस्याओं  के बीच  समाज और राष्ट्र को  नवीन समाधान  एवं विकल्प  प्रदान किये 
 समय-समय पर देश एवं समाज के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में समाधानपुरुष अवतरित हुए 
जिन्होंने समस्याओं के समाधान ही नही दिए बल्कि कई प्रकार के समाधानप्रद सूत्रों का अविष्कार किया 
जो प्रत्येक काल, स्थान एवं परिस्थिति में प्रासंगिक है
वर्तमान  युग को कलयुग अर्थात कृष्णयुग कहा  जा सकता है 
इस युग में भगवान् श्रीकृष्ण व अन्य समाधानपुरुषों द्वारा स्थापित किये गए समाधान के सूत्रों को समझते हुए समाधान पुरुषों में  वृद्धि करते हुए
एवं परिवार,समाज एवं राष्ट्र को सभी प्रकार की  समस्याओं से  मुक्त किया जा सकता है

1 comment:

  1. purusarth he jevan hain.

    alp sankya main he sahi samadhan purush sab se upar hain sabka margdarshak hain.

    hum khud he in charo main se ek vikalp chun te hain hum khud he apni sreni nirdharit kate hain.

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