संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन और सबसे वैज्ञानिक भाषा है
सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ वेद इस भाषा में रचे गए है
संस्कृत को देव वाणी भी कहा जाता है
इस कारण जितने भी देवताओं के मन्त्र रचित है
इस कारण जितने भी देवताओं के मन्त्र रचित है
वे इसी भाषा है
अर्थात देव गण संस्कृत भाषा में रचित मंत्रो से शीघ्र प्रसन्न होते है
और साधक को साधना में त्वरित सफलता प्राप्त होती है
और साधक को साधना में त्वरित सफलता प्राप्त होती है
संस्कृत भाषा सबसे अधिक व्याकरण सम्मत भाषा है
पाणिनि मुनि रचित अष्ट अध्यायी तथा पातंजलि
का महाभाष्य व्याकरण के प्रमुख स्त्रोत है
का महाभाष्य व्याकरण के प्रमुख स्त्रोत है
कुछ लोग संस्कृत बिना व्याकरण का अध्ययन किये
संस्कृत ग्रंथो का मन मानी व्याख्या कर लेते है
जो उचित नहीं है
जो उचित नहीं है
जिस व्यक्ति को संस्कृत तथा संस्कृति से मोह नहीं है
वह विकृति की और चला जाता है
विकृति से विकार उत्पन्न होते है
संस्कार समाप्त होते है
संस्कार समाप्त होते है
इसलिए संस्कृत तथा संस्कृति से
व्यक्ति को कभी विमुख नहीं होना चाहिए
संस्कृत से संस्कृति तथा संस्कार बनते है
संस्कृत से संस्कृति तथा संस्कार बनते है
संस्कार से सदाचार लोकाचार स्थापित होता है
इसलिए जन्म से लेकर मरण तक समस्त कर्मकांड
संस्कृत के मंत्रो से से अनुष्ठापित किये जाते है
वर्तमान में संस्कृत एवं संस्कृति को
नष्ट करने के षड्यंत्र रचे जा रहे है
निज संस्कृति के बिना कोई भी समाज सुरक्षित नहीं रह सकता है
संस्कृत तथा संस्कृति हमारी संस्कारों की माता है
नष्ट करने के षड्यंत्र रचे जा रहे है
निज संस्कृति के बिना कोई भी समाज सुरक्षित नहीं रह सकता है
संस्कृत तथा संस्कृति हमारी संस्कारों की माता है
माता का सरंक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है
हम यदि हमारी माता का सरंक्षण कर पाए तो वह हमें
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कई वरदान देगी
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कई वरदान देगी
जो हमें ही नहीं हमारे सम्पूर्ण समाज को
वर्तमान चुनौतियों से सामना करने समर्थ बनाएगी
Aap ka ye lekh srhaniya(accha) lga sanskrt sanskrti ev sanskar ek peedi se dusri peedi main virasat ke rup main jana chahiye tbh bhartiya sanskrti parivaar rishte surkshit rhainge.
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