सपना मध्यमवर्गीय परिवार की लाडली लड़की थी कुशाग्र बुध्दि की बालिका परिवार के प्रति अपने दायित्व को भली भाँती समझती थी माता पिता और तीन छोटी बड़ी बहनो सहित एक भाई का सुखी और संतोषी परिवार के बीच सपना स्वयम को पा अपना जीवन धन्य समझती थी शिक्षा पूरी होने के बाद सपना एक शासकीय कार्यालय में लिपिक का पद पा चुकी तो परिवार में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई सपना जैसी सुयोग्य कन्या पाकर कौन माता पिता ऐसे है स्वयं को भाग्यशाली नहीं समझते धीरे धीरे सपना पर बहनो की शादी का दायित्व भाई के पढ़ाई की जिम्मदारी भी आ गई पंद्रह साल कैसे बीत गये पता ही नहीं चला सभी बहनो की शादिया हो चुकी थी भाई भी ग्रेजुएट हो चुका था पर कुछ बचा था तो वह सपना का अविवाहित दायित्वों से भरा जीवन और बूढ़े माता पिता
No comments:
Post a Comment