Total Pageviews

Monday, May 28, 2012

कृतज्ञता भाव गोवर्धन पूजा और देश भक्ति


गूगल से साभार 



गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में 
भगवान् श्रीकृष्ण के जीवन में घटित प्रसंग आता है जिसमे उन्होंने गोकुल वासियों को
 इन्द्र की पूजा न कर गोकुल में विद्यमान गोवर्घन पर्वत की पूजा करने को प्रेरित किया 
इस प्रसंग के माध्यम से भगवान् श्रीकृष्ण 
क्या कहना चाहते है ?
यह समझना आवश्यक है 
क्या वे इंद्र राज  के अहम् का दमन कर उन्हें अपमानित करना चाहते थे ? भगवान् श्रीकृष्ण का गोवर्धन पूजा के पीछे छुपा आशय 
किसी देवता को अपमानित करने का नहीं हो सकता 
क्योकि महान सोच के धनी भगवान् श्रीकृष्ण का 
किसी भी कार्य के पीछे गलत मंतव्य नहीं हो सकता 
हमारे शास्त्रों यह कहा जाता है की 
"कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती 
करमूले तू गोविन्द : प्रभाते कर दर्शनम 
समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडले 
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं  पाद स्पर्शं क्षमस्व मे "
अर्थात -हाथो  के अगले भाग उंगलियों के रहने वाली देवी श्री लक्ष्मी  हाथो के मध्य भाग में निवास रत माँ सरस्वती 
तथा हाथो के मूल जिसे कलाई भी कहा जाता में रहने वाले
 भगवान् विष्णु का दर्शन करताहूँ ।
तथा वह देवी जिसके.वस्त्र समुद्र है
 पर्वत जिसके वक्ष है 
उस विष्णु पत्नी प्रथ्वी को मेरे पैरो को छु जाने से जो कष्ट हुआ है 
उसके लिए क्षमा मांगता हूँ 
उक्त श्लोक से यह स्पष्ट है की 
हमें प्रतिदिन उस धरती से सदा क्षमा मांगनी चाहिए 
तथा उस धरती के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनी चाहिए 
जहा हम रहते  है 
जिससे हम भरण पोषण पाते है 
जो हमें आश्रय प्रदान करती है 
 आशय यह है की 
अपने देश की माटी के प्रति स्नेह कर्तव्य एवं कृतज्ञता का भाव होना चाहिए ।
ऐसा नहीं हो की हम जिस स्थान परिवेश मिटटी में रहे 
वहा के प्रति अपने 
 कृतज्ञ भाव को भूल कर दूसरे देश दूसरी मिटटी के प्रति हम प्रतिबध्द हो जाए 
इसी तथ्य को स्थापित करने के लिए 
भगवान् कृष्ण में गोकुल वासियों को 
तत्समय यह सन्देश दिया की 
तुम गोवर्धन रूपी उस मिटटी पर्वत परिवेश को 
नमन करो जो तुम्हे आजीविका भरण पोषण प्रदान करता है 
 न की इन्द्र रुपी उस आसमान को 
जिससे तुम्हारा जन्म ,शिक्षा ,भरण ,पोषण ,आजीविका ,का कोई सम्बन्ध नहीं रहा है 
इसलिए गोवधन पूजा के पीछे देश की मिटटी के प्रति कृतज्ञता भाव निहित रहा है
 और यही सच्ची गोवर्धन पूजा है   


1 comment:

  1. Vykti ka prthm utardaitv uski matrbhumi ke prti hota hai jo uska paaln posan karti hai whi prthm pujya hai aapke is Chintan se ye baat spst hui.

    ReplyDelete