ह्रदय में ममत्व रहता , समत्व और सदभाव है
वात्सल्य में कोमल्य है ,वात्सल्य माँ की छाव है
माँ का आँचल है हिमाचल,कैलाश शिव का गाँव है
ममता का माँ है सरोवर ,ममता बिन बिखराव है
जिन्हें हम झूलो में झुलाते है और दूध पिलाते है
लाडले ऐसे निकले निठल्ले बुढापे में रुलाते है
रात भर गीले में सोई रो रो कर आँखे भिंगोई
पूत कपूत निकले माँ की लाठी कहा बन पाते है
वात्सल्य में कोमल्य है ,वात्सल्य माँ की छाव है
माँ का आँचल है हिमाचल,कैलाश शिव का गाँव है
ममता का माँ है सरोवर ,ममता बिन बिखराव है
जिन्हें हम झूलो में झुलाते है और दूध पिलाते है
लाडले ऐसे निकले निठल्ले बुढापे में रुलाते है
रात भर गीले में सोई रो रो कर आँखे भिंगोई
पूत कपूत निकले माँ की लाठी कहा बन पाते है
No comments:
Post a Comment