दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन अर्थात अमावस्या के एक दिन पूर्व
चौदस की तिथि को रूप चौदस या नरक चौदस के रूप में
चौदस की तिथि को रूप चौदस या नरक चौदस के रूप में
संबोधित किया जाता है
मान्यता है की रूप चौदस को श्रृंगार पक्ष पर
मान्यता है की रूप चौदस को श्रृंगार पक्ष पर
विशेष ध्यान दिया जाता है
जब हम रूप या श्रृंगार के विषय पर विचार करते है तो
अच्छे स्वास्थ्य के बिना रूप की कल्पना तक नहीं की जा सकती है
स्वास्थ्य की अनदेखी कर कोई भी व्यक्ति रूपवान नहीं हो सकता है
स्वास्थ्य के बिना किया गया श्रृंगार कृत्रिमता लिए हुए होगा
रूप चौदस के एक दिन पूर्व को धन तेरस को
धन्वन्तरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है
धन्वन्तरी आयुर्वेदाचार्य थे तथा सम्राट विक्रमादित्य के समकालीन थे
उज्जैन जिले के महिदपुर नगर के निकट
जब हम रूप या श्रृंगार के विषय पर विचार करते है तो
अच्छे स्वास्थ्य के बिना रूप की कल्पना तक नहीं की जा सकती है
स्वास्थ्य की अनदेखी कर कोई भी व्यक्ति रूपवान नहीं हो सकता है
स्वास्थ्य के बिना किया गया श्रृंगार कृत्रिमता लिए हुए होगा
रूप चौदस के एक दिन पूर्व को धन तेरस को
धन्वन्तरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है
धन्वन्तरी आयुर्वेदाचार्य थे तथा सम्राट विक्रमादित्य के समकालीन थे
उज्जैन जिले के महिदपुर नगर के निकट
धन्वन्तरी महादेव का मंदिर विद्यमान है
जहां भगवान् शिव माता पार्वती के साथ
जहां भगवान् शिव माता पार्वती के साथ
प्रतिमा रूप में दृष्टिगत होते है
मान्यता है की मंदिर के समीप कुए के जल कई रोग दूर होते है
माना जाता है की इस स्थान पर
मान्यता है की मंदिर के समीप कुए के जल कई रोग दूर होते है
माना जाता है की इस स्थान पर
धन्वन्तरी की प्रयोगशाला स्थित थी
इसलिए कुए में ओषधिय रसायन की
इसलिए कुए में ओषधिय रसायन की
संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है
रूप चौदस के एक दिन पूर्व स्वास्थ्य को ठीक रखने हेतु
आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरी से आशीष लेकर
रूप चौदस के एक दिन पूर्व स्वास्थ्य को ठीक रखने हेतु
आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरी से आशीष लेकर
अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने से
जो रूप मिलेगा उसमे कृत्रिमता नहीं होगी नैसर्गिकता रहेगी
नैसर्गिकता भरे रूप में ही शिव शंकर पार्वती विराजमान रहते है
इसलिए आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरी की महिदपुर स्थित
अनुसंधानशाला पर महादेव पार्वती का मंदिर विद्यमान है
रूप केवल व्यक्ति के बाहरी आकार प्रकार से निर्धारित नहीं होता है
आतंरिक गुणों का अत्यधिक महत्त्व होता है
इसलिए रूप चौदस को नरक चौदस के रूप में भी
जो रूप मिलेगा उसमे कृत्रिमता नहीं होगी नैसर्गिकता रहेगी
नैसर्गिकता भरे रूप में ही शिव शंकर पार्वती विराजमान रहते है
इसलिए आयुर्वेदाचार्य धन्वन्तरी की महिदपुर स्थित
अनुसंधानशाला पर महादेव पार्वती का मंदिर विद्यमान है
रूप केवल व्यक्ति के बाहरी आकार प्रकार से निर्धारित नहीं होता है
आतंरिक गुणों का अत्यधिक महत्त्व होता है
इसलिए रूप चौदस को नरक चौदस के रूप में भी
सम्बोधित किया जाता है
ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि
भगवान् कृष्ण ने भौमासुर नामक ऐसे राक्षस का वध
ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि
भगवान् कृष्ण ने भौमासुर नामक ऐसे राक्षस का वध
इस दिन किया था
जिसने भिन्न -भिन्न राज्यों की रूपवान राजकुमारियो का
जिसने भिन्न -भिन्न राज्यों की रूपवान राजकुमारियो का
हरण कर बंदी बनाया था
राक्षस ने रूपवान राजकुमारियो के रूप का
उनकी इच्छा के विरुध्द उपभोग किया था
भगवान् कृष्ण द्वारा इस दिन भौमासुर राक्षस के वध का
राक्षस ने रूपवान राजकुमारियो के रूप का
उनकी इच्छा के विरुध्द उपभोग किया था
भगवान् कृष्ण द्वारा इस दिन भौमासुर राक्षस के वध का
आशय यह है कि रूप हो या अच्छा स्वास्थ्य हो
वह भोग कि नहीं योग कि विषय वस्तु है
जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य का आश्रय ले सुन्दर रूप का
जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य का आश्रय ले सुन्दर रूप का
उपभोक्ता प्रवृत्ति से उपभोग करेगा
उसका शीघ्र विनाश सुनिश्चित है योग में भगवान कृष्ण है
भोग में भौमासुर है भोग से अंत है जैसा कि भौमासुर का हुआ था
योग में योगेश्वर है योगेश्वर शिव है कृष्ण है
उसका शीघ्र विनाश सुनिश्चित है योग में भगवान कृष्ण है
भोग में भौमासुर है भोग से अंत है जैसा कि भौमासुर का हुआ था
योग में योगेश्वर है योगेश्वर शिव है कृष्ण है
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