मिट्टी से प्रतिमा है बनती मिटटी से बनता है घर
मिटटी में ही मिल जाएगा अहंकार अब तू न कर
मिट्टी में है तेरा बचपन मिटटी पर है तू निर्भर
मिटटी में भगवान् रहे है मिटटी में रहते शंकर
मिट्टी से माता की मूर्ति मिट्टी से लम्बोदर
मिटटी खाए कृष्ण कन्हैया मिटटी को हांके हलधर
कही छाँव है कही है धुप माटी का है उजला रूप
माटी के भीतर है ऊर्जा माटी से तू अब न डर
मिटटी में ही मिल जाएगा अहंकार अब तू न कर
मिट्टी में है तेरा बचपन मिटटी पर है तू निर्भर
मिटटी में भगवान् रहे है मिटटी में रहते शंकर
मिट्टी से माता की मूर्ति मिट्टी से लम्बोदर
मिटटी खाए कृष्ण कन्हैया मिटटी को हांके हलधर
कही छाँव है कही है धुप माटी का है उजला रूप
माटी के भीतर है ऊर्जा माटी से तू अब न डर
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन पैटर्न टैंकों को बर्बाद करने वाले परमवीर को सलाम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबढ़िया ...word verification हटा लें ...टिप्पणी में परेशानी होती है
ReplyDeleteकही छाँव है कही है धुप माटी का है उजला रूप
ReplyDeleteमाटी के भीतर है ऊर्जा माटी से तू अब न डर ..
सच कहा है बिलकुल ... जो भी है इस माटी से मिला है ओर इसी में वापस भी मिल जाना है एक दिन ...