जहा आत्मीयता समाप्त हो जाती है
वहा ओपचारिकता प्रारम्भ होती है
आत्मीयता पूर्ण सम्बन्ध निश्छल व्यवहार की आशा रखते है
कृत्रिम रूप से धारण की गई मधुरता से
आत्मीय रिश्ते कभी विकसित नहीं किये जा सकते है
दीपावली और होली जैसे त्यौहार रिश्ते में
आत्मीयता जाग्रत करने के पर्व है
जिन रिश्तो में संवाद समाप्त हो चुके है
उनके बीच संवाद के सेतु बनाये रखने के पर्व है
वर्तमान में जहा कुछ रिश्ते केवल नाम के रह गए है
रिश्तो के नाम पर रिश्तो के शव रह गए है
वहा थोड़ा सा संवाद ही मृत रिश्तो में प्राण फूंक देता है
दीपावली के फटाके तो रिश्तो में जागृत लाने के प्रतीक है
मन से सभी प्रकार के भय दूर कर देने का प्रयास है
इसलिए त्यौहारो में निहित भाव को हम समझ पाये तो
हमारे त्यौहार सार्थक है
रिश्तो के भीतर की ऊष्मा को संवाद से बचा पाये तो
दीपावली सार्थक है
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