लाभ हमेशा शुभ हो यह आवश्यक नहीं है
अनुचित साधनो उपायो से
अनुचित साधनो उपायो से
अर्जित लाभ अशुभ होता है
ऐसा लाभ आपने साथ
अशुभ संकेतो को ले आता है
इसलिए हिन्दू रीती रिवाजो
इसलिए हिन्दू रीती रिवाजो
तीज त्यौहारो पर शुभ को लाभ से
अधिक महत्व दिया गया है
कर्म यदि शुभ हो तो लाभ प्राप्त हो ही जाता है
अधिक न सही पर जितनी मात्रा में भी हो
शुभ कर्मो से लाभ प्राप्त होता है
वह इस प्रकार का निवेश होता है
जिससे निरंतर लंबे समय तक
कई प्रकार के लाभ मिलते रहते है
जबकि लाभ को आगे रख कर
जो भी कार्य किया जाता है
उसमे अशुभ कर्म की प्रधानता रहती है
ऐसे कर्मो से अर्जित धन तमो गुण से युक्त होता है अतः लाभ शुभ के स्थान पर
शुभ लाभ का अधिक महत्व है
जो व्यक्ति केवल लाभ की भावना से कार्य करता है उसे समाज में स्वार्थी कहा जाता है
और जो व्यक्ति शुभ संकल्पों की
पूर्ति के लिए पुरुषार्थ करता है
उसे परमार्थी परोपकारी कहा जाता है
समाज में लाभ के साथ प्रतिष्ठा भी प्राप्त करता है
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