धर्म मात्र पूजा पध्दति नहीं है
धर्म आचरण का विषय है
जो लोग धर्म को मात्र पूजा पध्दति ही मानते है
वे धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देते है
वे धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देते है
जब हम महापुरुषों का अनुशरण करने में
असमर्थ पाते है
तब हम महापुरुषों को देवता बना देते है
उन्हें पूजने लग जाते है पूजते हुए
हम महापुरुषों के द्वारा रचित विचारो
बताये मार्ग को भूल जाते है
सच्चा धार्मिक व्यक्ति महापुरुषों के
विचारो और चरित्र अपनाता है
धर्म को पाखण्ड बना कर
धर्म को पाखण्ड बना कर
समाज को खंड खंड करने से
हम धर्म के मर्म को ही चोट पहुचाते है
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