Total Pageviews

Thursday, October 21, 2021

लोक विद्या आंदोलन


विगत दिनों काशी तीर्थाटन का सौभाग्य प्राप्त हुआ । तीर्थाटन के दौरान अस्सी घाट पर एक सत्संग संडली हमे ढोल मंजीरों के साथ कीर्तन करते हुए मिली । उत्सुकता वश हम उसका लाभ लेने सत्संग हेतु बैठ गए। कुछ देर भजन सुनने के बाद जब व्याख्यान सुना तो पता चला कि यह सत्संग मंडली दूसरी मंडलियों से भिन्न थी । इसका उद्देश्य धार्मिक नही परमार्थिक सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ था । लोक विद्या और उनसे जुड़ी कार्य कुशलता को महत्व मिले इस दिशा में यह एक आंदोलन है ऐसा चर्चा के दौरान ज्ञात हुआ ।लोक विद्या के इस आंदोलन से मैं प्रभावित हुए बिना नही राह सका।
        लोक विद्या अर्थात समाज के विभिन्न हिस्सों में व्याप्त वे स्वाभाविक कार्य कुशलताये जिनके लिए किसी भी संस्थागत प्रशिक्षण की आवश्यता नही रहती ।वे स्वतः व्यक्ति में या तो स्वयं विकसित होती है या परम्परा से प्राप्त होती जाती है ।किसी विश्वविद्यालय द्वारा उनकी इस कार्य कुशलता के लिए कोई प्रमाण पत्र जारी किया जाता ।
        लोक विद्या हमारे परिवेश चारो और बिखरी हुई है ।लोक विद्या के बिना छोटा हो या बड़ा हो  कोई भी  सृजनात्मक कार्य सम्पादित नही किया जा सकता । कितना भी प्रशिक्षित अभियंता हो वह कुशल मिस्त्री के बिना भवन पुल शिल्प निर्माण नही कर सकता । बाढ़ आपदाओं में नाविकों और कुशल तैराकों की आवश्यकता होती है जिनकी सहायता के बिना लोगो को राहत नही दी जा सकती ।वस्त्रो की सिलाई .आभूषणों के निर्माण , देशी जड़ी बूटियों से उपचार इत्यादि अनेक आयाम है लोक विद्या के जिनकी और किसी का ध्यान तक नही जाता ।ऐसे लोगो की प्रोत्साहित और पुरस्कृत करने की दिशा में यह आन्दोलन मुझे भीतर तक छू गया । 
https://www.facebook.com/lokvidya/videos/2969266693391494/

No comments:

Post a Comment