स्वतंत्रता शब्द कितना मधुर शब्द लगता है
लेकिन स्वतंत्रता बिना अनुशासन के व्यक्ति को उछ्र्नख्ल उद्दंड अपराधी बना देती है
व्यक्ति चाहे आत्मानुशासित रहे या भय के द्वारा स्थापित अनुशासित
किन्तु जीवन में अनुशासन होना बहुत आवश्यक है जो व्यक्ति आत्मानुशासन में नहीं रहता है उसे भय के द्वारा स्थापित अनुशासन में रहना पड़ता है ऐसे व्यक्ति को स्वतंत्रता भी गुलामी या परतंत्रता के सामान प्रतीत होती है जीवन में उत्थान और नव निर्माण के लिए अनुशासित रहना आवश्यक है उसी प्रकार से समाज को अनुशासित रखने के भी सामाजिक अनुशासन अनिवार्य होता है और राष्ट्र को अनुशासित रखने के लिए संविधान होना आवश्यक है अर्थात स्वतंत्रता का मूल्य अनुशासित जीवन है चाहे वह व्यक्ति, समाज ,या राष्ट्रीय अनुशासन जो जुड़े प्रश्न हो
गणतंत्र दिवस २६ जनवरी राष्ट्रिय अनुशासन का स्मृति दिवस है
किन्तु जीवन में अनुशासन होना बहुत आवश्यक है जो व्यक्ति आत्मानुशासन में नहीं रहता है उसे भय के द्वारा स्थापित अनुशासन में रहना पड़ता है ऐसे व्यक्ति को स्वतंत्रता भी गुलामी या परतंत्रता के सामान प्रतीत होती है जीवन में उत्थान और नव निर्माण के लिए अनुशासित रहना आवश्यक है उसी प्रकार से समाज को अनुशासित रखने के भी सामाजिक अनुशासन अनिवार्य होता है और राष्ट्र को अनुशासित रखने के लिए संविधान होना आवश्यक है अर्थात स्वतंत्रता का मूल्य अनुशासित जीवन है चाहे वह व्यक्ति, समाज ,या राष्ट्रीय अनुशासन जो जुड़े प्रश्न हो
गणतंत्र दिवस २६ जनवरी राष्ट्रिय अनुशासन का स्मृति दिवस है
इसलिए १५ अगस्त १९४७को आजादी प्राप्त होने के बाद को देश को प्रगति समाज अपराध मुक्त बनाए रखने के लिए संविधान लागू किया गया है
जो संविधान की प्रस्तावना के अनुसार हमने उसे आत्मार्पित किया है
अर्थात हमने राष्ट्रीय जीवन को अनुशासित करने का संकल्प किया लिया है
हमारे सारे अधिनियम ,नियम संविधान की आधार भूमि पर ही रचे गए है या रचे जाते है
हमारे सारे अधिनियम ,नियम संविधान की आधार भूमि पर ही रचे गए है या रचे जाते है
संविधान के प्रतिकूल क़ानून अवैध एवम औचित्यविहीन ठहराया जा सकता है
संविधान के अधीन विरचित अधिनियम स्वेच्छाचारी लोगो में भय निर्मित कर उन्हें अनुशासित बनाए रखता है
संविधान के अधीन विरचित अधिनियम स्वेच्छाचारी लोगो में भय निर्मित कर उन्हें अनुशासित बनाए रखता है
तथा अनुशासित व्यक्तियों को उनके मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखने को आश्वस्त करता है
गणतंत्र दिवस हम सही अर्थो में तभी मना सकते हैजब हम व्यक्तिगत ,सामाजिक ,राष्ट्रीय जीवन में अनुशासित रहने का संकल्प ले इसी में व्यक्ति ,समाज ,राष्ट्र की प्रगति निहित है
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