Total Pageviews

Sunday, March 25, 2012

धर्म













धर्म 
बात पुराने समय की हैं जब लोग तीर्थ यात्रा के लिए पैदल ही जाते थे परिवहन का कोई साधन  उस समय उपलब्ध नही था 
रेल, बस, मोटर गाड़ी को कोई नही जानता था इन सब का अस्तित्व ही नहीं था तब लोग पैदल ही मिलो की धुरी अपने पेरो से तय करते थे हाँ कभी कभी वे अपने साथ अपने पालतु पशुओ जेसे गधे खच्चर आदि को समान और सवारी के निम्मित ले जाते.
उस समय यात्रा अवधि बहुत लबी हो जाती  और रास्ते मैं भोजन पानी की भी कोई सुविधा नहीं होती तो लोग अपने साथ सतू  और चना आधी खाने को ले जाते.


ऐसे ही समय की ये  घटना हैं - सदियों से ये परम्परा हैं की भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम जो की दक्षिण भारत मैं स्थित हैं उनका अभिशेख उत्तरभारत  मैं बहने वाली भारत की आत्मा माँ गंगा के जल से ही किया जाता रहा हैं.
वहा के पुजारी और स्थानीय श्रद्धालु लोग अभिषेख  के लिए गंगा जल लाने के लिए भारत के एक छोर से दुसरे छोर तक की कठिन यात्रा करते और माँ गंगा का जल लाकर भगवान् शिव का अभिषेक करते.


पुजारियों  का एक दल उत्तर भारत से माँ गंगा का जल अपने साथ लेकर दक्षिण भारत मैं अपने आराध्य  श्री रामेस्वरम का  जलाअभिसेख  करने के लिए कठिन रास्तो को  को पार कर अपने गंतव्य की और बड  रहा था  मार्ग मैं कई स्थान  अतिभयानक थे लम्बी यात्रा मैं कई बार ऐसे स्थान पड़ते जहा पीने को जल और फल आदि भी नहीं मिलते ऐसे ही एक स्थान से ये दल गुजर रहा था सूरज की तेज किरणों से जमीन  जल रही थी धुर धुर तक  पानी का नामो निशाँ नहीं था सभी बेहाल थे पर अपने स्वामी का  जलाअभिशेख करने की कामना उन्हें शक्ति देती सभी भगवान रामेश्वरम का जयघोष करते हुए बड रहें थे तभी उन्हें रास्ते मैं किसी जीव की दर्दनाक वाणी सुनाई दी देखा तो एक गधा गर्मी से व्याकुल प्यास  से तडप  रहा था उसकी स्थति अत्याधिक गम्भीर थी उसे देख कर लग रहा था की उसकी कुछ ही साँसे शेष हैं .
दल के लोग रुक गये एक ने कहा अरे ये बेचारा तो बहुत संकट  मैं हैं  प्यास से तडप रहा हैं, दूसरा बोला लगता हैं किसी यात्री का होगा पानी की कमी होगी तो इसे यहाँ मरने के लिए छोड़ गया होगा.
चलो अब तो भगवान ही इसका मालिक हैं बिना पानी के इसका  मरना तय हैं आगे भोलेनाथ की इच्छा.
सभी उसे मरता छोड़ कर जाने लगे पर एक आदमी वही रुक गया उससे गधे का दर्द देखा नही जा रहा था वो मन ही मन कुछ सोच रहा था उसने भगवान शिव का स्मरण किया और रामेश्वरम अभिशेख के लिए लाया अपना गंगाजल उस गधे को पिलाने लगा .
उसे देख दुसरे लोग चकित रह गए .
अरे ये क्या कर रहें हो भाई  ये गंगा जल भगवान  शिव के अभिशेख के लिए था तुमने इतना कष्ट उठा  कर महीनो लम्बी कष्टों से भरी यात्रा कर ये गंगा जल भारत के एक कोने से दुसरे कोने को पार कर अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए लाये थे और तुमने अपना  गंगा जल इस गधे  को पिला दिया शिव -शिव बड़ा पाप किया तुमने अब तुम्हारा मनोरथ पूरा नही होगा तभी वो आदमी बोला अरे भइया मेरा गंगा जल इसकी प्यास भुझाने के लिए पूरा नही हैं क्रपा कर के आप लोग भी इसे थोडा सा जल पिला दो बेचारा बहुत तडप रहा हैं बहुत दिनों  से प्यासा हैं हो सकता हैं पानी पीकर ये पुनह स्वस्थ हो जाये इसमें  तोड़ी शक्ति आ जाये. 


शिव शिव क्या बक  रहें हो हमे भी पाप का भागी  बनाओगे ये जल हमारे रामेश्वरम के लिए हैं ये हम उन्ही को अर्पित करेंगे , किसी ने अपना जल नहीं दिया. गधे ने जब उस आदमी का गंगा जल पिया तो उसे बहुत राहत मिली पर पानी उसके लिए काफी नहीं था और गधा प्यासा ही मर गया.
आदमी की आखों से आसू बहने लगे उसे दुःख था की वो गधे की प्यास नही बूझा पाया. 
लो मर गया ना और  तुम्हारा  सारा  जल भी  समाप्त हो गया. 


अब आप ही विचार कीजिये की धर्म क्या हैं क्या रामेश्वरम को जल अर्पित करके वो आदमी धर्म को प्राप्त करलेता  या  उस आदमी ने उस  मरते  हुए प्यास से व्याकुल जीव को पानी पिला कर पाप किया,   
या फिर उसने अपने  धर्म को परिभाषित किया.


क्या वो लोग धर्म को पा  लेगे क्या वो लोग भगवान् को अधिक प्रिय होंगे क्या सच मे भगवान  उन पर कृपा करेगें जिन्होंने भगवान के ही अंश उस जीव को पानी की कुछ बुँदे  देना भी पाप समझा.
  
भगवान ने हमे ये जीवन क्यों दिया इस पर विचार करे धर्म को समझना अति कठिन हैं और उसका पालन करना और भी कठिन आज जहाँ सारी दुनिया धर्म के नाम पर निर्दोष प्राणियों की बली दे रही हैं कर्म काण्ड से अपने को धर्मात्मा सिद्ध कर रहें  हैं वही कुछ  लोग अपने जीवन को परहित मैं लगा कर धर्म की स्थापना कर रहें  हैं.
  
"परहित सरस धर्म हैं नाही परपीड़ा सम दुःख कछु नाही" 


गधा तो मर गया पर मरते मरते उसे संतोष था क्योकि जल की कुछ बुँदे उस के लिए किसी अमृत से कम नही थी आदमी के दिल मैं भी शांति थी की उसने एक मरते हुए को थोडा सुख पहुचाया
और यही सच्चा धर्म हैं 
                                                                         जय भोलेनाथ       

1 comment:

  1. Praani ki sevaa kare ham.insaniyat hai dharm hai
    vishaas se sansaar jode.ishvar bhakti karm hai

    ReplyDelete