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Tuesday, October 9, 2012

दुराग्रह ,पूर्वाग्रह और प्रशासन

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प्रशासन एवम प्रबन्धन के क्षैत्र मे यह बहुत आवश्यक  है
कि अच्छा प्रशासक ,कुशल प्रबन्धक सभी प्रकार के
पूर्वाग्रह एवम दुराग्रह से दूर रहे
दुराग्रह के पीछे दुराशय रहता है
पूर्वाग्रह मे निहीत पूर्वाशय होता है
दुराग्रह वह आशय  है जो किसी व्यक्ति को क्षमता
को जान-बूझ कर अनदेखा करने को प्रेरित करता है
दुराग्रह मन मे रखने वाले व्यक्ति के बारे मे लोगो मे यह धारणा व्याप्त रहती है
कि वह स्व-विवेक का उपयोग करने के बजाय
दूसरे व्यक्तियो द्वारा दिये गये विचारो ,अभिमतो पर अधिक निर्भर रहता है
दुराग्रह से मुक्ति पाने का यह उपाय है
कि व्यक्ति किसी भी तथ्य की पुष्टि स्वयम करे
तदपश्चात किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचे
कभी-कभी व्यक्ति दुराग्रह के अतिशय मे किसी
व्यक्ति के प्रति ऐसी धारणाये मनो-मस्तिष्क मे विकसित कर लेता है
जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नही होता
ऐसा व्यक्ति जो भी निर्णय लेता है
वह व्यवहारिक नही होता है
वास्तविक परिस्थितियो से विपरीत होता है
पूर्वाग्रह मन मे रखने वाला व्यक्ति पक्षपात की भावना से प्रेरित होता है
ऐसे व्यक्ति ने किसी व्यक्ति या विषय वस्तु के सम्बन्ध मे पक्षपात की भावना से
जो प्रारम्भ मे जो धारणा बना ली उस पर वह हठधर्मिता पूर्वक कायम रहता है
वास्तविकता चाहे कितनी भी विपरीत हो
ऐसा व्यक्ति जब भी प्रशासनिक अथवा प्रबन्धक पद पर नियुक्त होता है
उसके द्वारा लिये गये निर्णयो से व्यक्ति ,संस्था,समाज,देश को भारी क्षति उठाना पडती है
इसलिये यह परम्परा है कि
कोई भी संवैधानिक पद धारण करने वाला व्यक्ति पद धारण करने के पूर्व स्वयम को
समाज ,धर्म,जाति,वर्ग सहीत सभी प्रकार के पूर्वाग्रहो दुराग्रहो से मुक्त होने की शपथ ग्रहण करे
परन्तु वास्तव मे शपथ का पालन कितने प्रतिशत 
 व्यक्ति करते है
शासक जितना पूर्वाग्रहो दुराग्रहो से मुक्त होगा
प्रशासन उतना ही स्वच्छ,निष्पक्ष,और पारदर्शी होगा
जो कि न्याय पूर्ण समाज की स्थापना के लिये आवश्यक  है
व्यवसाय प्रबन्धन सभी प्रबन्धन से जुडे क्षैत्रो के लिये
यह महत्वपूर्ण सूत्र भी है

1 comment:

  1. Aaj ka adhihkaansh varg isi prkaar ke Duragrho evm Purvagrho se grshit hain aur yhi kaarn hain ki aaj Desh Smaaj aur Vykti Pattan ki aur Agrsar hain,

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