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Thursday, November 1, 2012

जरासन्ध अर्थात जरा+सन्ध

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जरासन्ध का सन्धि विच्छेद किये जाने पर
जरा+सन्ध होता है जरा अर्थात व्रद्धावस्था
सन्ध अर्थात सन्धि
जरासन्ध का शाब्दिक अर्थ व्रद्धावस्था की आयु
तथा युवावस्था की आयु का सन्धि काल
कोई भी युवा व्यक्ति बुढापे की अचानक अग्रसर नही होता
बुढापा शनै: शनै: व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है
जरासन्ध और भगवान क्रष्ण के बीच कई बार युद्ध हुये थे
कहते है जरासन्ध ने मथुरा पर सोलह बार आक्रमण किये थे
जो भगवान क्रष्ण ने विफल कर दिये थे
बुढापा भी जीवन को प्रकारो क्षीण करता है
कभी तो व्यक्ति के जोडो मे दर्द होता है
तो कभी आँखों से कम दिखाई देना शुरू होता है
कभी त्वचा पर झुर्रिया पडना प्रारंभ होती है
तो कभी ह्रदयाघात से प्राण संकट मे पड जाते है
या उच्च रक्तचाप निम्न रक्तचाप तन मन मे बैचेनी बडा देता है
जरासन्ध की विशाल सेना से मथुरा को बचाने के लिये
भगवान क्रष्ण ने अपने राज्य को समुद्र के मध्य
द्वारका के नाम से राज्य स्थापित किया था
समुद्र के बीच द्वारका स्थापित किये जाने का तात्पर्य
यह है कि ऐसा स्वास्थ्य जो यम नियम के आसन प्राणायाम
के चहु रक्षा दिवारो से रक्षित हो ऐसे स्वास्थ्य मे साँसे फेफडो मे
और रूधिर धमनियो मे ,चेतना तंत्रिका-तंत्र मे उसी प्रकार से
संचरण करती है जिस प्रकार श्री क्रष्ण की द्वारका मे जन -जन
सुख शांती और सम्रद्धि से निवास कर विचरण करते थे
जरासन्ध का वध भीम के द्वारा द्वन्द्व युद्ध के
 माध्यम से करवाया गया
आशय यह है कि बुढापा के युवावस्था पर सोलह 
प्राण घातक प्रहार होते है
जो सोलह प्रकार की शारीरिक दुर्बलताओ  को देते है
अन्त मे बुढापा व्यक्ति के प्राण हर लेता है
यदि बुढापे के जरासन्ध को परास्त करना है तो
हमे भगवान क्रष्ण द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार जीवन यापन करना होगा
दिनचर्या को नियमित करना होगा
आहार विहार संयमित करना होगा
यम नियमो का पालन करने होगा
तभी हम बुढापे को युवावस्था के सन्धि स्थल से प्रथक 
किया जाना संभव होगा
हमे अपनी युवा वय एवम शारीरिक स्वास्थ्य को बचाने के लिये
महाबली भीम का अवलम्बन लेना होगा
अर्थात अधुरे प्रयास न कर भीम अर्थात भरसक प्रयास करना होगे
एक-एक कर सारी दुर्बलताओ को दूर करनी होगी
तथा जरासन्ध का वध कर युवावय को दीर्घ काल तक 
बनाये रखना होगा
वर्तमान मे सुखी और स्वस्थ जीवन का यही मन्त्र है

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