प्रेम के भीतर ईश्वर है
इस सच्चाई को जानने के बावजूद
विशुध्द प्रेम की अभिव्यक्ति को
कोई स्वीकार नहीं करता
प्रेम के भीतर
किसी न किसी प्रकार की मिलावट
सभी को चाहिए
प्रेम विशुध्द हो तो करुणा पिघलती है
करुणा में माँ और मानवता है
संवेदना को तरलता मिलती है
मानवीय व्यवहार की सरलता सच्ची पूजा है
प्रेम के ढाई अक्षर में अद्भुत ऊर्जा है
प्रीती की दीप्ती पाकर प्रतिभाये उभरती निखरती है
प्रीती में आलोक आनंद है ईर्ष्या कहा ठहरती है
इस सच्चाई को जानने के बावजूद
विशुध्द प्रेम की अभिव्यक्ति को
कोई स्वीकार नहीं करता
प्रेम के भीतर
किसी न किसी प्रकार की मिलावट
सभी को चाहिए
प्रेम विशुध्द हो तो करुणा पिघलती है
करुणा में माँ और मानवता है
संवेदना को तरलता मिलती है
मानवीय व्यवहार की सरलता सच्ची पूजा है
प्रेम के ढाई अक्षर में अद्भुत ऊर्जा है
प्रीती की दीप्ती पाकर प्रतिभाये उभरती निखरती है
प्रीती में आलोक आनंद है ईर्ष्या कहा ठहरती है
No comments:
Post a Comment