त्रेतायुग में हनुमान जी ने जो
भौतिक रूप में प्रगट होकर कार्य किये
वह अभी संभव नहीं है
परन्तु सज्जनो को सरंक्षण करना
हनुमान जी का सर्वोच्च कार्य है
जब व्यक्ति के पुण्यो का उदय होता है
तो वह सज्जनो से वह घिर जाता है
जब व्यक्ति के दुर्भाग्य का प्रारम्भ है
तो न चाहते हुए भी वह बुरे लोगो के बीच अपने आप को पाता है
हनुमान जी केवल यह कार्य करते है
कि वे एक सज्जन को दूसरे सज्जन व्यक्ति से मिलवाते है
इस प्रकार कई सज्जन व्यक्तियों की संगठित शक्ति
हनुमद कृपा के रूप में प्रगट होती है
इसलिए कहते की जहा कही सुन्दर काण्ड का गायन होता है
तो हनुमान जी वहा सूक्ष्म रूप अवतरित हो जाते है
सुन्दर काण्ड अर्थात सुन्दर शुभ कल्याण कारी कार्य
इसका तात्पर्य यह है कि
सज्जनो के एकत्रित होकर
सुन्दर शुभ कल्याण कारी कार्य करने के संकल्प करने पर
संकल्प की पूर्ति करने हेतु
एक अद्भुत शक्ति और ऊर्जा सज्जनो में संचारित होने लगती है
यही ऊर्जा हनुमद शक्ति कहलाती है
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