जीने के अधिकार में सम्मान और गरिमापूर्वक
जीवन यापन करने का अधिकार भी शामिल है
हमें ध्यान रखना चाहिए की हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता
किसी व्यक्ति के इस अधिकार को तो नहीं छीन रही है
संसार में गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए
सबसे अधिक कोई मूल्य वान वस्तु है
तो वह सम्मान और गरिमापूर्ण
जीवन यापन का अधिकार
हमें चाहिए की हम स्वयं सम्मान पूर्ण जीवन जिए
और हमारे किसी कृत्य से दूसरे व्यक्ति के आत्मसम्मान
एवं सामाजिक सम्मान को क्षति न पहुंचे
अध्यात्म का मूल सूत्र ही यह है की
विश्व के समस्त प्राणियों में प्रभु सत्ता का वास है
इसलिए हम चाहे कितने ही धर्म का आवरण ओढ़ ले
यदि हमने अपने जीवन में जाने अनजाने
चाहे अनचाहे अपने कृत्य से
किसी व्यक्ति के सम्मान से जीवन जीने के अधिकार को
क्षति पहुचाई है तो हम पाखंडी है
ईश्वर पाखण्ड से की गई पूजा को स्वीकार नहीं करता
मन आशाये उसी व्यक्ति की पूरी होती है
जो जीवन में ईश्वरीय गुणों का समावेश कर लेता है
No comments:
Post a Comment