श्रावण मॉस में शिव पूजा पर
अधिक जोर दिया जाता है
शिव जी को प्रसन्न करने के लिए
भक्त तरह तरह की साधना और अनुष्ठान करते है
शिव जी आशुतोष अर्थात शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता है
परन्तु शिव जी वास्तव में
वर्तमान की परिस्थितियों से प्रसन्न है
यदि ऐसा है तो शिव जी से जुड़े तीर्थ केदारनाथ
पर ध्वंस क्यों हुआ था
शिव जी को वास्तव में प्रसन्न करना चाहते है तो
हमें ह्रदय में श्रीराम को बसाना होगा
क्योकि शिव जी का एक नाम रामेश्वर भी है
श्रीराम बन कर उनके आचरण को आत्मसात कर
यदि हम शिव जी की अल्प साधना भी करेंगे
तो शिव जी सच मुच प्रसन्न होगे
उल्लेखनीय है की रावण भी शिव भक्त था
परन्तु उसकी शिव भक्ति में राम जैसी सादगी नहीं थी
वैभव था शक्ति प्रदर्शन था अहंकार था शिव जी की साधना
रावण जैसे दुर्गुणों से युक्त व्यक्ति करे तो
वह शिव पूजा का कितना ही पाखण्ड कर ले
पर सही अर्थो में शिव जी के आशीष
उसको नहीं मिल पायेगा
श्रीराम जैसी शिव भक्ति करने से
जिस प्रकार से श्रीराम जी को शिव जी के अंशावतार
हनुमान जी प्राप्त हुए थे
उसी प्रकार से शिव अर्थात दुसरो के कल्याण करने वाले
व्यक्तियों का सानिध्य सहयोग और हमें प्राप्त होगा
इस बिंदु पर दृष्टिपात किया जाना आवश्यक है
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