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Thursday, January 26, 2012

अनुशासन एवम गणतंत्र दिवस



स्वतंत्रता शब्द कितना मधुर शब्द लगता है 
लेकिन स्वतंत्रता बिना अनुशासन  के व्यक्ति को उछ्र्नख्ल उद्दंड अपराधी बना देती है 
व्यक्ति चाहे आत्मानुशासित रहे या भय के द्वारा स्थापित अनुशासित
किन्तु जीवन में अनुशासन होना बहुत आवश्यक है जो व्यक्ति आत्मानुशासन में नहीं रहता है उसे भय के द्वारा स्थापित अनुशासन में रहना पड़ता है ऐसे व्यक्ति को स्वतंत्रता भी गुलामी या परतंत्रता के सामान प्रतीत होती है जीवन में उत्थान और नव निर्माण के लिए अनुशासित रहना आवश्यक है उसी प्रकार से समाज को अनुशासित रखने के भी सामाजिक अनुशासन अनिवार्य होता है और राष्ट्र को अनुशासित रखने के लिए संविधान होना आवश्यक है अर्थात स्वतंत्रता का मूल्य अनुशासित जीवन है चाहे वह व्यक्ति, समाज ,या राष्ट्रीय अनुशासन जो जुड़े प्रश्न हो
गणतंत्र दिवस २६ जनवरी राष्ट्रिय अनुशासन का स्मृति दिवस है 
इसलिए १५ अगस्त १९४७को आजादी प्राप्त होने के बाद  को देश को प्रगति समाज अपराध मुक्त बनाए रखने के लिए संविधान लागू किया गया है 
जो संविधान की प्रस्तावना के अनुसार हमने उसे आत्मार्पित किया है 
अर्थात हमने राष्ट्रीय जीवन को अनुशासित करने का संकल्प किया लिया है
हमारे सारे अधिनियम ,नियम संविधान की आधार भूमि पर ही रचे गए है या रचे जाते है
संविधान के प्रतिकूल क़ानून अवैध एवम औचित्यविहीन ठहराया जा सकता है
संविधान के अधीन विरचित अधिनियम स्वेच्छाचारी लोगो में भय निर्मित कर उन्हें अनुशासित बनाए रखता है
तथा अनुशासित व्यक्तियों को उनके मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखने को आश्वस्त करता है 
गणतंत्र दिवस हम सही अर्थो में तभी मना सकते हैजब हम व्यक्तिगत ,सामाजिक ,राष्ट्रीय जीवन में अनुशासित रहने का संकल्प ले इसी में व्यक्ति ,समाज ,राष्ट्र की प्रगति निहित है