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Friday, October 23, 2015

अहंकार का आहार

अहंकार भक्ति का शत्रु है
इसके बावजूद व्यक्ति तरह तरह के
 अहंकार में ग्रस्त तो होता ही है साथ ही वह साधना और भक्ति के क्षेत्र में भी चमत्कार 
और वैभव रूपी अहंकार का प्रदर्शन करता है ।
 स्वयं को माँ का परम भक्त निरूपित कर जान सामान्य अपनी धाक ज़माना
 इसी अहम् भवना का द्योतक है ।
भक्ति के नाम पर चकाचौध रोशनियों से युक्त 
बड़ी बड़ी झांकिया जूलूस निकाल कर 
अपने सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का प्रदर्शन अहंकार का विस्तार ही तो है 
 अहंकार भावना से युक्त भक्ति एवम् साधक 
भले ही सिध्दियां प्रदान कर दे 
परन्तु ईष्ट की कृपा का पात्र नही  बनाती है 
 ईष्ट की कृपा तो ईश्वर शरणा गति से ही 
प्राप्त की जा सकती है 
अहंकार युक्त शक्ति साधना करते समय
 व्यक्ति यह भूल जाता है की
 माँ जगदम्बा अहंकार का ही आहार करती है ।