Total Pageviews

Tuesday, September 18, 2012

संस्कृत संस्कृति एवं संस्कार

संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन और सबसे वैज्ञानिक भाषा है 
सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ वेद इस भाषा में रचे गए है
 संस्कृत को देव वाणी भी कहा जाता है
इस कारण जितने भी देवताओं के मन्त्र रचित है 
वे इसी भाषा है 
अर्थात देव गण संस्कृत भाषा में रचित मंत्रो से शीघ्र प्रसन्न होते है
और साधक को साधना में त्वरित सफलता प्राप्त होती है 
संस्कृत भाषा सबसे अधिक व्याकरण सम्मत भाषा है 
पाणिनि मुनि रचित अष्ट अध्यायी तथा पातंजलि
का महाभाष्य व्याकरण के प्रमुख स्त्रोत है 
कुछ लोग संस्कृत बिना व्याकरण का अध्ययन किये
 संस्कृत ग्रंथो का मन मानी व्याख्या कर लेते है
जो उचित नहीं है 
जिस व्यक्ति को संस्कृत तथा संस्कृति से मोह नहीं है 
वह विकृति की और चला जाता है 
विकृति से विकार उत्पन्न होते है
संस्कार समाप्त होते है 
इसलिए संस्कृत तथा संस्कृति से 
व्यक्ति को कभी विमुख नहीं होना चाहिए
संस्कृत से संस्कृति तथा संस्कार  बनते है
 संस्कार से सदाचार लोकाचार स्थापित होता है 
इसलिए जन्म से लेकर मरण तक समस्त कर्मकांड 
संस्कृत के मंत्रो से से अनुष्ठापित किये जाते है 
वर्तमान में संस्कृत एवं संस्कृति को 
नष्ट करने के षड्यंत्र रचे जा रहे है 
निज संस्कृति के बिना कोई भी समाज सुरक्षित नहीं रह सकता है
संस्कृत तथा संस्कृति हमारी संस्कारों की माता है
 माता का सरंक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है 
हम यदि हमारी माता का सरंक्षण कर पाए तो वह हमें
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कई वरदान देगी 
जो हमें ही नहीं हमारे सम्पूर्ण समाज को 
वर्तमान चुनौतियों से सामना करने समर्थ बनाएगी