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Monday, June 11, 2012

वट का वृक्ष


वट का वृक्ष भारतीय संस्कृति में पूज्य है 
क्योकि वट वृक्ष दीर्घायु होता है 
वट के वृक्ष की विशेषता होती है
कि अधिक विस्तार पाने पर 
उसकी डालिया भी जड़ का रूप धारण कर लेती है इस कारण यह वृक्ष कितना ही विराट हो जाए
अपने आकार और भार के कारण नीचे नहीं गिरता है और निरंतर विस्तार पाता जाता है 
इसकी विशालता को देखते हुए कई वन्य प्राणी और पशु पक्षी इसका आश्रय पाते है
 सृष्टि में अत्यधिक पुराने वट वृक्ष भी 
देखे जा सकते है
वट वृक्ष के सामान ही हमारे परिवारों में बुजुर्ग होते है जिनका आश्रय मात्र जीवन की समस्याओं से जूझने का साहस देता है 
परिवार के मुखिया की स्थिति भी 
वट वृक्ष जैसी होती है 
वट वृक्ष जैसी ह्रदय की विशालता होने पर परिवार का मुखिया पूज्य हो जाता है 
अन्यथा परिवार के मुखिया की संकीर्ण मनोवृत्ति उसे आदर के स्थान पर 
अनादर का पात्र बना देती है 
परिवार के बुजुर्गो में यदि वट वृक्ष की उदारता 
और ह्रदय की विशालता हो तो 
परिवार ही नहीं सम्पूर्ण समाज के लोग 
उसके निकट आकर जीवन की आश्वस्ति स्नेह एवं आशीर्वाद प्राप्त करते है 
परिवार के सभी सदस्य यदि वट वृक्ष के सामान बुजुर्गो का आदर सम्मान करे तो 
सम्पूर्ण परिवार को ईश्वरीय आशीर्वाद 
प्राप्त होगा 
ऐसी स्थिति में परिवार के बुजुर्ग 
अपने अनुभव एवं प्रभाव का लाभपरिवार के दूरस्थ सदस्यों उसी प्रकार देगे 
जिस प्रकार से वट वृक्ष अपनी दूरस्थ शाखाओं को दूरस्थ जड़ो के माध्यम से देता है