वट का वृक्ष भारतीय संस्कृति में पूज्य है
क्योकि वट वृक्ष दीर्घायु होता है
वट के वृक्ष की विशेषता होती है
कि अधिक विस्तार पाने पर
उसकी डालिया भी जड़ का रूप धारण कर लेती है इस कारण यह वृक्ष कितना ही विराट हो जाए
अपने आकार और भार के कारण नीचे नहीं गिरता है और निरंतर विस्तार पाता जाता है
अपने आकार और भार के कारण नीचे नहीं गिरता है और निरंतर विस्तार पाता जाता है
इसकी विशालता को देखते हुए कई वन्य प्राणी और पशु पक्षी इसका आश्रय पाते है
सृष्टि में अत्यधिक पुराने वट वृक्ष भी
देखे जा सकते है
वट वृक्ष के सामान ही हमारे परिवारों में बुजुर्ग होते है जिनका आश्रय मात्र जीवन की समस्याओं से जूझने का साहस देता है
वट वृक्ष के सामान ही हमारे परिवारों में बुजुर्ग होते है जिनका आश्रय मात्र जीवन की समस्याओं से जूझने का साहस देता है
परिवार के मुखिया की स्थिति भी
वट वृक्ष जैसी होती है
वट वृक्ष जैसी ह्रदय की विशालता होने पर परिवार का मुखिया पूज्य हो जाता है
अन्यथा परिवार के मुखिया की संकीर्ण मनोवृत्ति उसे आदर के स्थान पर
अनादर का पात्र बना देती है
परिवार के बुजुर्गो में यदि वट वृक्ष की उदारता
और ह्रदय की विशालता हो तो
परिवार ही नहीं सम्पूर्ण समाज के लोग
उसके निकट आकर जीवन की आश्वस्ति स्नेह एवं आशीर्वाद प्राप्त करते है
परिवार के सभी सदस्य यदि वट वृक्ष के सामान बुजुर्गो का आदर सम्मान करे तो
सम्पूर्ण परिवार को ईश्वरीय आशीर्वाद
प्राप्त होगा
ऐसी स्थिति में परिवार के बुजुर्ग
अपने अनुभव एवं प्रभाव का लाभपरिवार के दूरस्थ सदस्यों उसी प्रकार देगे जिस प्रकार से वट वृक्ष अपनी दूरस्थ शाखाओं को दूरस्थ जड़ो के माध्यम से देता है