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Thursday, September 21, 2017

नंदी

श्रावण के सोमवार पर शिव मंदिर में भक्तो की भीड़ लगी हुई थी | दर्शन कर प्रसाद चढाने के लिए लम्बी लम्बी लाइने लगी हुई थी | बड़ी मुश्किल से नंबर आया तो एक भक्त ने भगवान् शिव के दर्शन किये 
और शिव के समक्ष विराजमान नंदी  नमन किया और नंदी के समीप बैठ कर शिव के समक्ष समर्पण भाव से ध्यान किया और स्वयं कृत  कृत्य हुआ | बाहर आने पर जो प्रसाद लेकर आया था उसे बाहर खड़े सांड ने मुंह लगाया तो भक्त महाराज को बर्दाश्त नहीं हुआ | वे कैसे एक पशु को पवित्र प्रसाद को मुंह लगाने देते सांड को मारने के दौड़े सांड बेचारा भूखा प्यासा बेहाल मार खाते हुए भागा | प्रश्न एक चुभता रहा मन को की मंदिर के भीतर विराजमान पत्थर के नंदी जो भक्त कितनी श्रध्दा के साथ पूज रहा था वही भक्त मंदिर के बाहर प्रत्यक्ष रूप से खड़े | नंदी को पहचान नहीं पाया भला ऐसे भक्तो को शिव का आशीष कहा से प्राप्त होता