वर्तमान व्यवहारिक स्थितियों में
पुरुष चार श्रेणियों में विभक्त किये जा सकते है
प्रथम प्रकार के पुरुष जिन्हें जड़ पुरुष कहा जा सकता है
द्वितीय प्रकार के पुरुष जिन्हें समस्या पुरुष कहा जा सकता है
तृतीय प्रकार के पुरुष को कापुरुष अथवा पलायन पुरुष कहते है चतुर्थ प्रकार के पुरुष को समाधान पुरुष कहते है
जड़ पुरुष का आशय यह है
कि ऐसे पुरुष जिनकी मानसिक चेतना शून्यवत हो
अर्थात जो दूसरों के आदेशानुसार कार्य करने में समर्थ हो
स्वयं अपने विवेक से निर्णय लेने में समर्थ नहीं हो
समस्या पुरुष वे होते है जो स्वयं तो समस्याग्रस्त होते ही है
जहाँ जाते हैं समस्या खड़ी कर देते हैं या समस्याएँ स्वयं वहां उत्पन्न हो जाती हैं
ऐसे पुरुष समस्याओं का रोना ही रोते रहते है
कापुरुष ऐसे पुरुष होते है
जिन्हें दुसरे शब्दों में पलायनपुरुष भी कहा जा सकता है
पलायनपुरुष वे पुरुष होते है
जो समस्या खड़ी होने पर समस्यास्थल से तुरंत पलायन कर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर चले जाते है
पुरुषों की सर्वोत्तम श्रेणी समाधान पुरुष की होती है
ऐसे पुरुष समाज में अल्पमात्रा में पाए जाते है
इस श्रेणी के पुरुष सभी प्रकार की समस्याओं के समाधान खोजने हेतु तत्पर रहते है
कापुरुष ऐसे पुरुष होते है
जिन्हें दुसरे शब्दों में पलायनपुरुष भी कहा जा सकता है
पलायनपुरुष वे पुरुष होते है
जो समस्या खड़ी होने पर समस्यास्थल से तुरंत पलायन कर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर चले जाते है
पुरुषों की सर्वोत्तम श्रेणी समाधान पुरुष की होती है
ऐसे पुरुष समाज में अल्पमात्रा में पाए जाते है
इस श्रेणी के पुरुष सभी प्रकार की समस्याओं के समाधान खोजने हेतु तत्पर रहते है
वे विकट परिस्थितियों से पलायन नहीं करते अपितु उनका दृढ़ता से मुकाबला करते है
घोर विषम परिस्थितियों में समस्या के समाधान के नए विकल्प तलाशते है
वर्तमान परिस्थितियों में ऐसे पुरुष समाज में विद्यमान है
किन्तु अधिक मात्र में ऐसे पुरुषों की समाज, परिवार एवं राष्ट्र को आवश्यकता है
द्वापर युग में भगवान् श्रीकृष्ण समाधान पुरुष थे
जिन्होंने हर प्रकार कि समस्याओं के बीच समाज और राष्ट्र को नवीन समाधान एवं विकल्प प्रदान किये
समय-समय पर देश एवं समाज के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में समाधानपुरुष अवतरित हुए
जिन्होंने समस्याओं के समाधान ही नही दिए बल्कि कई प्रकार के समाधानप्रद सूत्रों का अविष्कार किया
जो प्रत्येक काल, स्थान एवं परिस्थिति में प्रासंगिक है
वर्तमान युग को कलयुग अर्थात कृष्णयुग कहा जा सकता है
इस युग में भगवान् श्रीकृष्ण व अन्य समाधानपुरुषों द्वारा स्थापित किये गए समाधान के सूत्रों को समझते हुए समाधान पुरुषों में वृद्धि करते हुए
एवं परिवार,समाज एवं राष्ट्र को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्त किया जा सकता है