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Wednesday, June 25, 2014

दुःख का महत्त्व

महत्त्व इस बात का नहीं की किसने कितना दुःख देखा दैन्य और दरिद्रता पूर्ण परिस्थितियों में जीवन व्यतीत किया महत्व इस बात का है की दुःख देखने के बाद भी व्यक्ति ने परिस्थितियों से संघर्ष किया जीवन में सफलता हासिल की उपलब्धिया अर्जित की  जैसे तैसे जीवन जी लेना आसान है परन्तु जीवन स्वाभिमान और जीना बहुत कठिन है अपमानित होकर तो कई व्यक्ति जीते है परन्तु जीवन में आत्मसम्मान बचा कर सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करना अत्यंत कठिन है जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्व है  परिश्रम का उपदेश करना भी आसान है परन्तु स्वयं परिश्रम करते हुए आदर्श प्रस्तुत करना बहुत कठिन  है

Tuesday, June 24, 2014

मै एक पेड़ हूँ

 मै एक पेड़ हूँ
मुझे पौधे से पेड़ बनने में कई साल लगे
पूरी पीढ़ी मेरे देखते -देखते गुजर गई
बीज से पौधा और पौधे से पेड़ बनने का सफर बहुत लंबा था
जब मै पेड़ बना था पंछीया का बसेरा बना
आते -जाते राही को मेरी छाँव में आश्वस्ति मिलती थी
जब कभी मेरी टहनियों की लकडिया गिरती थी लोग सर्दी में अलाव जला लेते थे
प्रवासी और निर्धन मेरी लकडियो से भोजन पका लेते थे
मेरी पत्तियों की हरियाली वातावरण में प्राण फूक देती थी
सुबह शाम पंछियो की चहचहाट को मैंने सूना है
मैंने सुनी उनकी कई अंतरंग बाते
मैंने बारिश की धार सहा है पर पथिक को बचाया है
मैंने गर्मी की तेज धूप में तप कर राहो को चौराहो को सजाया है
नहीं चाहा की मेरी जड़ो को लोग रोज पानी पिलाये
फिर लोग ने छोटे छोटे बच्चे को मेरे झूलो पर झुलाये

Sunday, June 8, 2014

वामन अवतार में जीवन दर्शन

प्राचीन हिन्दू ग्रंथो में उल्लेख आता है |  
भगवान विष्णु के वामन अवतार 
जो दैत्य वंश के राजा बलि के द्वार पर 
एक बौने ब्राह्मण का रूप धारण करके
 भिक्षा माँगने के लिए गए थे 
और उन्होंने तीन पग धरती मांगी थी
 राजा बलि द्वारा तीन पग धरती दान देते ही
 भगवान विष्णु ने अपना बौना रूप त्याग कर 
विशाल रूप धारण किया इतना विशाल की 
पैर धरती पर थे और मस्तक अनंत आकाश की ऊंचाई पर 
उक्त दृष्टान्त से हमारे व्यवहारिक जीवन का 
बहुत गहरा सम्बन्ध है |  
  सामान्य रूप से जो लोग ऊँचे सपने सजाया करते है|  
   वे यह नहीं जानते की हमें कहा छोटा होना है  
 और कहा बड़ा होना
  हर जगह बड़प्पन के अहंकार में रहना उचित नहीं है 
यदि जीवन में उपलब्धिया प्राप्त करनी हो तो 
अपना स्वरूप लघु कर लेना चाहिए |
  इस सिध्दि का प्रयोग पवन पुत्र हनुमान जी ने कई बार किया 
और वांछित कार्य में सफलता प्राप्त की 
 इसी प्रकार उपरोक्त दृष्टान्त हमे यह भी सिखाता है
 हम कितने ही बड़े व्यक्ति बन जाए 
हमारे पैर  यथार्थ के धरातल पर ही टिके रहना चाहिए 
पर चिंतन का स्तर वामन अवतार के ऊंचाई धारण करने वाले
 मस्तक के साम होना चाहिए

Wednesday, June 4, 2014

रिश्तो की असलियत

सविता और रतन के जो मोहल्ले में 
एक माह पूर्व ही किराए से रहने आये थे 
दोनों में आज काफी कहा सुनी  हो गई थी
 दोनों में हाथा पाई हो जाने से लहू -लुहान हो गए थे 
मोहल्ले के सारे लोग इकठ्ठे हो गए थे 
सविता बोली "मै अपने पति और बच्चो को छोड़ कर
 माता -पिता सारे सम्बन्धो को भूल कर 
रतन तेरे साथ प्रेम के पाश में बंध चली आई" 
और तू एक माह के भीतर ही आपा खो बैठा 
यह सुन कर मोहल्ले के सारे लोग स्तब्ध रह गए 
की वे जिस जोड़े को मोहल्ले का आदर्श परिवार मानते रहे
 वे नैतिक और चारित्रिक दृष्टि से पारिवारिक जिम्मेदारियों से 
भागे हुए महिला पुरुष है 
जिनके बीच दैहिक  तृष्णा के अतिरिक्त
 कोई रिश्ते का सेतु नहीं था जब ऐसी तृष्णा तृप्त हो जाती है
 तो एक माह के भीतर ही 
उनके रिश्तो की असलियत सामने आ जाती है 

Tuesday, June 3, 2014

सुदर्शन चक्र और गरुड़

भगवान विष्णु सज्जनो के सरंक्षण 
तथा दुर्जनो के विनाश हेतु सदा तत्पर रहते थे
इसलिए उनका वाहन गरुड़ है
 गरुड़  की दृष्टि अत्यंत तीव्र रहती है
और गति अत्यंत द्रुत और अद्भुत 
याद करते ही भगवान विष्णु सहायता के लिए
तुरंत पहुँच जाते है 
यह केवल उनके वाहन गरुड़ देवता से संभव है
भगवान विष्णु के हाथो में सुशोभित सुदर्शन चक्र 
जो दुष्टो को दंड देने हेतु
सदा तत्पर रहता है एक बार छोड़ें जाने के बाद
 वह दुष्ट का शिरोच्छेदन के बाद ही लोटता था
शिर अर्थात मस्तिष्क में 
 विचारो और विकारो का स्थान होता है
 सुदर्शन चक्र दुष्ट विचारो
               और विकारो के विरुध्द संघर्ष  का परिचायक है
सुदर्शन अर्थात श्रेष्ठ दर्शन जीवन में 
श्रेष्ठ विचारो का स्थान होना चाहिए 
विचार अच्छे या बुरे हो सकते है 
लड़ाई सदा वैचारिक होनी चाहिए  
अच्छी विचार धारा से जुड़े सज्जन व्यक्तियों का समूह
 जब संगठित होकर कोई प्रयास करता है 
तो वह षडयंत्रो पर आधारित वैचारिक विकृतियों का 
समूल नाश करता है 
वर्तमान में जो भी व्यक्तियों के समूह 
अच्छे विचारो के लिए कार्य कर रहे है 
वे भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की तरह है