दूसरे व्यक्ति के परिश्रम धन और समय का मूल्य वह व्यक्ति ही समझ सकता है जो स्वयं परिश्रमी और समय का पाबन्द हो दुसरो को ईमानदारी का पाठ पढाने वाला स्वयं ईमानदारी से कार्य करे तो उसका मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है अन्यथा वह मात्र उपदेश ही रह जाता है जीवन में जिसने पुरुषार्थ से कुछ भी नहीं पाया उसके मुख से त्याग की बाते अच्छी नहीं लगती
सभी सुख सुविधाये विद्यमान रहते अभावो रहने का अभ्यास सच्चा वैराग्य है स्वास्थ्य अच्छा रहने के बावजूद अल्प आहार ग्रहण करना भी व्रत के सामान है स्वास्थ्य खराब होने पाचन तन्त्र अनियमित होने जो व्रत करे वह व्रत उपवास न होकर उपचार है जैसे कोई व्यक्ति एक दिन के व्यायाम से पहलवान नहीं बन जाता उसी प्रकार कोई व्यक्ति क्षणिक अध्धयन से विद्वान नहीं बनता निरंतर अभ्यास किसी भी क्षेत्र में पूर्णता प्राप्त करने के लिए अभ्यास करना आवश्यक है
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Thursday, November 26, 2015
जीवन के सूत्र
Wednesday, November 25, 2015
शुभ लाभ
अनुचित साधनो उपायो से
इसलिए हिन्दू रीती रिवाजो
Tuesday, November 24, 2015
सुख और दुःख
सुख कोई परोसी हुई थाली नहीं है
परन्तु स्वयं सुख पाना चाहते है
Friday, November 13, 2015
राहुल की जिद
राहुल हर बात के लिए जिद करता था छोटी छोटी वस्तुओ की मांग पर वह अड़ जाता था जीवन मरण का प्रश्न बना लेता था आखिर उसकी जिद पूरी करने वाले उसके पिता जो थे धीरे धीरे राहुल उम्र बढ़ती गई पिता से उसकी अपेक्षाएं भी उसी अनुपात में बढ़ने लगी महंगाई के इस युग राहुल के पिता की सीमित आय राहुल की जिद पूरी करने में समर्थ नहीं थी राहुल का स्वकेंद्रित स्वभाव कभी खुद की असीमित आवश्यकताओ के आगे सोचने का अवसर प्रदान नहीं करता परन्तु निरंतर दायित्वों के भार और ढलती हुई उम्र के कारण राहुल के पिता का स्वास्थ्य गिरता जा रहा था अचानक राहुल पिता के देहांत की सूचना ने राहुल को हतप्रभ कर दिया घर में कुआरी बहन की शादी छोटे भाई की पढ़ाई का दायित्व का खर्चा कहा से उठाये राहुल अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति ही नहीं कर पा रहा था अब राहुल की जिद पालने वाला शख्स जो नहीं रहा जिद जिसके बलबूते राहुल हर बात मनवा लेता था अब कुंठा और तृष्णा का कारण बन चुकी थी
Tuesday, November 10, 2015
जीवन एक त्योहार
हमारा भारतवर्ष उत्सवों ,त्योहारों का देश है जो किसी ना किसी तरह हमें प्रभावित अवश्य करते है त्योहार बेरंग उदासीन जीवन में रंग भरता है तो कोई किसी के अधियारे जीवन मे प्रकाश करता है त्योहार हमें प्रसन्न करने का हमारी उदासीनता दूर करने का अवसर है इसके विश्लेषण से पता चलता हे की हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए एेसे समाज की व्यवस्था की जो हमारे तनावपूर्ण और उदासीनता भरे जीवन में प्रसन्नता उत्साह व उमंग लाए त्योहारों के माध्यम से एक बार पुनः आने वाले संकटो विपदाओ से दो -दो हाथ करने को और उनसे जीतने को हम मजबूती से डटे रहे एक और बात गौर करने योग्य है त्योहार हमें भीतर से प्रसन्नता देते है कोई भी त्योहार आने से पहले ही हम प्रसन्नता का अनुभव करते है एक नये जोश व उत्साह के साथ उसके स्वागत और तैयारियों में जुट जाते हे ये बाहरी नही अपितु भीतरी आनन्द का परिणाम है आश्य ये हे कि त्योहार आपके भीतर है प्रसन्नता आपके ही अंदर है इसलिये हम चाहे तो वर्षभर प्रसन्न रह सकते है हर दिन त्योहार मना सकते है जीवन का पर्याय त्योहार बन जाये यही जीवन की सफलता है।
Friday, November 6, 2015
असहिष्णुता
श्रीराम का संघर्ष और उसकी शुचिता
श्रीराम मर्यादा को स्थापित करने आये थे
Wednesday, November 4, 2015
कलयुगी भक्त
ध्यान लगाना हर किसी के बस की बात नहीं भगवान के सामने घन्टों बैठने के बाद भी एक पल ध्यान लग जाये तो व्यक्ति धन्य हो जाये ये सब सतयुगी चौचले है ध्यान ना लगने में भक्त की नहीं भगवान में ही कोई डिफाल्ट होगा अब भगवान भी समय और देशकाल के अनुसार होना चाहिए भई आज के लोग कोई ओल्ड फैशन के तो हे नहीं पहले इस्तेमाल करे फिर विश्वास करे का चलन हे फिर भगवान के बारे मे भी ये सब सोचना जरूरी है कोई तपवप ना होगा यूज एन्ड थ्रो की पॉलिसी है कलयुगी भक्त भक्ति से पहले सौ बार तोलेगा कोई घाटे का सौदा करने का काम नहीं है भक्ति आज कल तो भईया जो भक्त की मनोवांछित मुराद पूरी करेगा भक्त उसी भगवान की जय-जय कार करेगा इष्ट बदलना तो आजकल फैशन हे आदमी बाप बदल लेता हे फिर धर्म और भगवान बदलना कौनसा पाप हो गया?
और हे भी तो डरने की कोनों बात नहीं जेब मे चिल्लर बहुत हे और दान-पेटीया भी अब भगवान अपने मुँह से तो माँगेगे नहीं कलयुगी भक्त बड़ा ही समझदार है बिना बोले ही सब समझ जाता है भगवान को गरज हे एेसे भक्तों की भला कलयुगी भक्त को किसकी गरज है
ध्यान लगाना है तो मोबाइल के सामने बैठ जाओ बड़ा तगडा भगवान हे भईया हाथ में लेते ही ध्यान लग जाता है घन्टों का पता नहीं चलता कब गुजर गये और ध्यान भी एेसा गहरा की सामने बच्चा डूब जाये कोई मर जाये घर में आग लग जाये या ट्रक आ जाये तो भी समाधि ना टूटे अरे ये बच्चे घर सब मोह-माया हैं इसी देवता के कारण कितने ही स्वर्गपुरी पहुंच गये भक्त और भगवान का मिलन हो गया भईया कलयुगी भक्त को जम गया मोबाइल भगवान सारे काम हो रहे है मंदिर जाने का टाइम कहां ? दानपेटिका भी अटैच आता है थोड़ा सा दान दो तो प्रसाद मे अमृत तुल्य नेटडेटा प्राप्त होता है फिर क्या चिंता इस नश्वर संसार की और कर्म योग से श्रेष्ठ भक्ति योग है अब कलयुगी भक्त की च्वाईस हे की वह किसकी भक्ति करे बाल बच्चे माँ बाप पति पत्नी सब मोह-माया है अब जो कलयुगी भक्त जो करे वो कम है ।
Tuesday, November 3, 2015
प्रश्नो के जबाब
कई समस्याएं के हल नहीं होते
बाधाये कई ऐसी जिनको पार करना
हर किसी के लिए संभव नहीं है
सपने हम कई देखते है है
पर हर सपना सच नहीं होता
अपनापन लिए मिलने वाला हर शख्स
अपना नहीं होता
जो अपना सा लगे
वह अपने संग नहीं रहता
जो अपने को सच्ची और अच्छी लगे
वह अपने को मिल जाए या संभव नहीं है
जीवन में कष्ट पाये बिना
कोई वस्तु सहज ही मिल जाए
ऐसा कोई अनुभव नहीं है
अनुभव और ज्ञान दोनों एक साथ हो
यह बिलकुल आवश्यक नहीं है
जीवन में है कितनी सारी विसंगतियों
इन विसंगतियों को झेल सको तो झेलो
या इन विसंगतियों से दुखी रहो
या इन संग रहो इनसे खेलो
अनुत्तरित रहे सारे प्रश्नो के भी कई हिसाब है
जीवन में है कई अनसुलझी पहेलिया
वक्त के पास होते उनके जबाब है
Monday, November 2, 2015
आंसू की बूंदे
अश्रु से है प्यार हरा सम्वेदना कल छल
आँसू के ही साथ रही गिरधर तेरी प्रीत
आँखों मोती रूप रहा आँसू है सरताज
आँसू भक्ति रीत रही आंसू रस की खान
फुट फुट रोये श्याम है मित्रवत है रीत
Sunday, November 1, 2015
घटिया प्रयास
ये तो स्पष्ट है कि जब वातावरण अनुकूल होता है तब जनसंख्या वृद्धि होती है और जब वातावरण प्रतिकूल होता है तो पलायन और मृत्यु दर में वृद्धि.... इससे स्पष्ट हे कि भारत में तथाकथित अल्पसंख्यको के लिए वातावरण अनुकूलता लिए हुए है क्योंकि उनकी जनसंख्या दर में वृद्धि हुई है ...
वहीं सिरीया लीबिया व अन्य देशों में पलायन व मृत्युदर में वृद्धि हुई है फिर तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा देश के वातावरण को प्रतिकूल बता...
विरोध करना तथ्यों से प्रतिकूल है। व देश के सौहार्दपुर्ण वातावरण व छवि को धुमिल कर क्षणिक प्रसिद्धि पाने का घटिया प्रयास मात्र है।