गरीबी क्या है ?
गरीबी को अलग अलग लोगो ने अलग तरह से
परिभाषित किया है
गरीबी के लिए मानक निर्धारित किये गए
गरीबी के लिए तय किया गया है कि एक गरीब
व्यक्ति कि प्रतिदिन कि आय क्या होनी चाहिए
परन्तु क्या यही सत्य है कि गरीबी को मात्र व्यक्ति
कि आय से जोड़ा जाय यदि ऐसा है
तो प्राचीन काल में जितने भी ऋषि मुनि वनो में रहते थे
जिनकी कोई आय नहीं थी वन पर निर्भर थे क्या गरीब थे
बिलकुल नहीं वे तो अध्यात्मिक सत्ता के प्रतीक थे
राज सत्ता के लिए मार्ग दर्शक थे
वास्तव में गरीबी का आधार मात्र आय नहीं हो सकता
स्थान परिवेश जीवन शैली से
गरीबी कि परिभाषाये निरंतर बदलती रहती है
गरीबी के लिए मानसिक स्थितिया भी उत्तरदायी होती है
व्यक्ति में संतुष्टि का स्तर क्या है
किस व्यक्ति कि आवश्यकता किस प्रकार कि है
यह सब गरीबी को समझने के लिए अनिवार्य है
पर इन सब बिन्दुओ पर दृष्टिपात कौन करता है
गरीबी को तो लोगो ने समाज सेवा का माध्यम बना लिया है
कुछ लोगो के लिए गरीबी रोजगार का साधन है
ग्रामीण परिवेश में गरीबी के लिए अलग मानक होंगे तो कस्बो में भिन्न
महानगरीय जीवन शैली में व्यक्ति कि अधिक आय भी
उसके अभावो को दूर नहीं कर सकती
इसलिए गरीबी निर्धारण के लिए
कोई सीधी और सरल रेखा नहीं हो सकती