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Friday, November 15, 2013

तू श्रीराम को पा जाएगा

भगवान् के भव् में भाव होते है 
भाव बिन अभाव रहता है 
भावो से प्रभाव होता है 
भावो से भावनाए होती है 
भावुकता एक अच्छे इंसान के ह्रदय में पलती  है 
दिल जब टूटता है भावनाए जलती है 
भावनाए पिघलती है
भाव विहिन्  चेहरा पत्थर  और निर्जीव  पाषाण कहलाता है 
भावनाओ से भरा व्यक्तित्व निष्प्राण में भी चेतना जगाता है 
भावनाओ के बल पर व्यक्ति हर मंजिल  और मुस्कान पाता  है 
भावनाओ के धरातल पर 
भगवान् भी इस जहां में इंसान बन कर आता है 
भगवान् प्रसाद का नहीं भावो का भूखा है 
भावो के जल के बिना यह जग मरुथल है  रूखा है 
भावो के दीप है भावो के सीप है 
भावो के पंछी है नभ भी समीप है 
भावो से कल्पनाये है ,भावो से वन्दनाएं है
भाव नहीं हो पूजन में तो व्यर्थ सारी  साधनाये है
भावनाए निश्छल हो तो हर व्यक्ति राम है 
भावनाए दुर्बल हो तो लक्ष्य भी गुमनाम है 
भावो के कैलाश पर शिव भी विराजमान है 
इसलिए जहा तक सम्भव हो भावनाए सुधारो 
भावो से विह्विल हो परम पिता  परमात्मा को पुकारो 
यह सच है भावो से खिंच कर तेरा प्रभु तेरे समीप आयेगा 
निषाद राज केवट कि तरह तू  प्रभु श्रीराम को पा जाएगा