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Tuesday, February 5, 2013

प्रभु कृपा


शान्ति और अहिंसा एक दूसरे के पर्याय है
शान्ति के लिए अहिंसक होना अनिवार्य है
शान्ति भीतर से बाहर की और आती है
बाहर आकर चहु और छा जाती है
जो शान्ति को बाहर की और खोजता है
वह बुध्द की और नहीं अशांति की और लौटता है
जो व्यक्ति भीतर से जितना शांत है
वह उतना अहिंसक है
अशांत व्यक्ति वाचाल है आक्रामक है हिंसक है
मानसिक हिंसा भी होती अति क्रूर है
घृणा, क्रोध, प्रतिशोध से होती वह भरपूर है
मानसिक हिंसा में रहते दुर्विचार है
निष्ठुरता ,हैवानियत करती वह अंगीकार है
मानसिक रूप से हिंसक व्यक्ति
संकल्प और विकल्प में कितनी बार खुद मरता है मारता है
जीत के भ्रम में जीवन की कई लडाईया रोज-रोज हारता है
समग्र विजय के लिए व्यक्ति के भीतर शान्ति होना जरुरी है
शांत व्यक्ति की शान्ति ही उसकी शक्ति है सफलता की धुरी है
शांत व्यक्ति पर रहती प्रभु कृपा है
अशांति में आदमी उग्र होकर जीवन में मरा खपा है
इसलिए शांत रह कर गहन शांति में प्रभु कृपा पाओ
शान्ति बाहर से नहीं भीतर से बाहर लाओ