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Wednesday, October 31, 2012

नीती और नियत

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व्यक्ति ,समाज ,या संस्था की नियति
नीती निर्धारको की नियत और  नीती से निर्धारित होती है
नियत अच्छी हो तो नीतीया अच्छी बनती है
नैतिकताये जो स्थापित करते है
वे नीतीवान नेत्रत्व करते है
ऐसे नेत्रत्व के सहारे देश
औरसमाज आगे  बढते है
नीतीया स्पष्ट
हो तो समाज और  व्यक्ति को कम कष्ट  होते है
वर्तमान मे नीतीवान ही नही नीतीया गतिमान होनी आवश्यक  है
गतिमान नीतीयो से ही योजनाये मूर्त रूप लेती है
परिवार हो समाज हो कोई संस्था हो या कोई देश प्रदेश हो
परियोजनाओं की सफलताये कठीन परिश्रम 
और  दूरदर्शीता पर निर्भर होती है
प्रतिबद्धताये इन्सान को किसी भी अभियान से जोडती है
अभियान किसी भी सकारात्मक उर्जा को समग्र 
और  सम्यक रुप देने के लिये होता है
किसी भी कार्य की समग्रता के लिये पूर्ण समर्पण आवश्यक  है
कार्य के प्रति समर्पण व्यक्ति को एकाग्रता प्रदान करता है
एकाग्रता अल्प समय मे वांछीत लक्ष्य की प्राप्ति मे सहायक है
सपनो हो साकार इसलिये समग्र चेतना से कार्य करते जाईये
निज चेतना मे निराकर सत्ता की अनुभूति जरुरी है
अनुभूतिया जितनी व्यापक होगी अनुभव का आकार उतना ही होगा
अनुभव की गहनता से कल्याण होगा नव निर्माण होगा


क्षणिकाये

               
         (1)
वे भ्रष्टाचार उन्मूलन प्रकोष्ठ के है 
पदाधिकारी
मिल जायेगी उनके पास
सभी भ्रष्टाचारियो की जानकारी
जिसे दबाने के लिए वे लेते है
 रिश्वत भारी
  
        (2)
हाथ से निकले हुए
धन के सूत्र है
 क्योकि
वे माता सरस्वती के पुत्र है 
              (3)
वे कौमी एकता के
हिमायती कहलाते है
 और कौम के नाम पर
परस्पर विरोधी तस्करों को
एक ही मंच पर लाते है