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Saturday, October 7, 2017
व्यक्ति की अवस्था
Thursday, September 21, 2017
नंदी
और शिव के समक्ष विराजमान नंदी नमन किया और नंदी के समीप बैठ कर शिव के समक्ष समर्पण भाव से ध्यान किया और स्वयं कृत कृत्य हुआ | बाहर आने पर जो प्रसाद लेकर आया था उसे बाहर खड़े सांड ने मुंह लगाया तो भक्त महाराज को बर्दाश्त नहीं हुआ | वे कैसे एक पशु को पवित्र प्रसाद को मुंह लगाने देते सांड को मारने के दौड़े सांड बेचारा भूखा प्यासा बेहाल मार खाते हुए भागा | प्रश्न एक चुभता रहा मन को की मंदिर के भीतर विराजमान पत्थर के नंदी जो भक्त कितनी श्रध्दा के साथ पूज रहा था वही भक्त मंदिर के बाहर प्रत्यक्ष रूप से खड़े | नंदी को पहचान नहीं पाया भला ऐसे भक्तो को शिव का आशीष कहा से प्राप्त होता
Wednesday, April 12, 2017
सौन्दर्य और वैभव
सौन्दर्य सम्पन्नता में ही नहीं होता सादगी में भी होता है सीधा सच्चा ग्राम्य परिवेश प्रकृति का सामीप्य पा अधिक आकर्षक लगता है वैभव के मानदंड समृद्धि ही नहीं होते इतिहास उज्ज्वल हो तो प्राचीन किले की टूटी दीवारे और जींर्ण शीर्ण महल भी अपनी वैभव गाथा कहते है अन्यथा तो संगमरमर से बने साफ़ सुथरे कई राजसी महल अपनी कलंकित ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के चलते वैभव खो चुके है और पांच सितारा होटलों में बदल कर विदेशियो के सत्कार में पलक पावड़े बिछा कर अपना वैभव तलाश रहे है
Sunday, April 9, 2017
Wednesday, April 5, 2017
Saturday, April 1, 2017
Tuesday, February 28, 2017
माँ अंजनी
Sunday, January 8, 2017
सत पुरुष और सद्गुरु
सद्गुरु ही करा सकता है
वैसे ही सद्गुरु का साक्षात्कार
सत्पुरुष ही करा सकता है
सत्पुरुष के लक्षण क्या है?
सब जानते है परंतु व्यक्ति के बाह्य रूप से
सत्पुरुष की पहचान नहीं की जा सकती है
सत्पुरुष की पहचान क्या है?
जैसे लोह धातु का चुम्बक अपने सामान
गुणों से युक्त चुम्बक को आकर्षित कर लेता है
उसी प्रकार सत्पुरुष व्यक्ति को आकृष्ट
सत्पुरुष ही कर सकता है
सत पुरुष में सतगुण की वे तरंगे होती है
जिससे सतगुण से युक्त व्यक्ति
स्वतः खींचे चले आते है
यदि किसी व्यक्ति के बाह्य रूप से
सज्जनता परिलक्षित होती हो
परन्तु वह दुर्गुणों और व्यसनों से युक्त
व्यक्तियों से घिरा हो
उसको उन्ही लोगो में अच्छा लगता हो तो
यकीन मानिए वह व्यक्ति सत्पुरुष नहीं है
मात्र उसने सज्जनता का आवरण ओढ़ रखा है
Friday, January 6, 2017
चरित्र
व्यक्ति की पहचान उसके व्यक्तित्व से होती है
व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी आदतों से बनता है
अच्छी आदतें व्यक्ति को चरित्रवान
और बुरी आदतें व्यक्ति को दुश्चरित्र बना देती है
व्यक्ति के दुश्चरित्र की कीमत
उसके परिवार समाज
और कभी कभी राष्ट्र को चुकाना पड़ती है
जबकि चरित्रवान व्यक्ति परिवार समाज
और समाज को अपने चरित्र को उपकृत करता है
उसे सच्चरित्र होने की कीमत पग पग पर
चुकाना पड़ती है चरित्र की पवित्रता
व्यक्ति को मर्यादित रखती है
इसलिए वह पथ भृष्ट नहीं हो पाता
चारित्रवान व्यक्ति जिस पर अग्रसर होता है
वह पथ उसके पग से सुशोभित होता है
जिस गंतव्य की और प्रस्थान करता है
वह गंतव्य गरिमा प्राप्त करता है
जिस पद को प्राप्त करता है
वह पद उत्कृष्ट व्यक्ति के कृतित्व से
धन्य हो जाता है