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Saturday, August 11, 2012

कंस कृष्ण एवं जन्माष्टमी

भगवान् श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को 
हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते है 
इस त्यौहार पर जगह जगह लोग  
गोलाकार मानव श्रृंखलाए के कई स्तर बना कर 
उंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ने के आयोजन करते है 
इस हेतु प्रतिस्पर्धाए आयोजित होती है
 इस प्रकार के कार्यक्रमों में निहित सन्देश को 
हमने नहीं जाना और परम्परा के रूप मनाये जा रहे है
हमने अपने बौध्दिक स्तर को ऊंचा उठाया हो या न हो 
हम प्रतिवर्ष जन्माष्टमी को मानव गोलाकार मानव श्रृंखला के स्तर ऊँचे उठाते जा रहे है 
श्रीकृष्ण कन्हैया की मटकी की उंचाई बढती जा रही है 
हमें प्रतिवर्ष अपने विचारों के स्तर ऊँचा उठाना होगा 
तथा विचारों के उत्तुंग शिखर पर खड़े होकर 
श्रीकृष्ण रूपी तत्व ज्ञान को पाना होगा 
क्योकि श्रीकृष्ण रूपी तत्व ज्ञान 
बिना वैचारिक उत्थान किये पाना संभव नहीं है 
भगवान् कृष्ण ने कंस का वध किया था 
कंस कौन व्यक्ति है ?
कंस अर्थात जो अपने अधम कर्मो से अपने वंश 
अपने कुल की कीर्ति का क्षय कर कर दे 
अपने वंश को डुबो दे कंस जिसका भगवान कृष्ण ने वध किया 
की कोई संतान रही हो ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता है
इसलिए जो व्यक्ति विचारों के उच्च शिखर पर पहुँच चुका हो 
जिसे श्रीकृष्ण रूपी तत्व ज्ञान मिल चुका हो 
स्वत ही उसके कंस रूपी तमोगुण समाप्त हो जाते है 
भगवान् कृष्ण के जन्म के पूर्व उनके जन्म की आकाशवाणी हुई थी ऐसा क्यों आवश्यक था 
क्योकि भगवान् कृष्ण घने अन्धकार में प्रगट होने वाले 
सत्य स्वरूप परमात्मा थे 
सत्य जब प्रगट होता तो वह गुप्त रूप से प्रगट नहीं होता है 
सत्य की सार्वजनिक रूप से प्रगट होता है 
जो गुप्त रूप से प्रगट हो वह सत्य हो ही नहीं सकता 
जो गुप्त रहे वह अपराध अधम कर्म तो हो सकता है 
सत्य नहीं हो सकता 
भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्री को हुआ 
अष्टमी एवं नवमी  की  रात्री १२ बजे उनका जन्म होना माना जाता है जो दो दिवसों का  मिलन काल होता है 
अर्थात भगवान कृष्ण का जन्म उस समय हुआ है 
जो वर्तमान और भावी की संधि काल होता है
 ईश्वर इस तथ्य के माध्यम से यह सन्देश देना चाहते है कि 
यदि जीवन में अन्धकार दूर करना है
 तो भावी के स्वप्न देखना पर्याप्त नहीं है 
वर्तमान को भी संवरना होगा 
इस प्रकार भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़े रहस्य को समझने कि आवश्यकता है