Total Pageviews

Saturday, November 17, 2012

प्राथमिकताये लक्ष्य और सफलता


-->
व्यक्ति ,परिवार ,संस्थान हो या देश ,प्रदेश हो सफलता अर्जित करने का
महत्वपूर्ण सूत्र है प्राथमिकताअो का निर्धारण करना
प्राथमिकताये निर्धारित किये जाने से
व्यक्तिगत तथा सामुहिक उर्जा को सही दिशा दी जा सकती है
एक ही दिशा मे सामुहिक अौर समग्र उर्जा लग जाने से
कठिन लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है
भिन्न-भिन्न समूह के व्यक्तियो तथा संस्थानो के लिये
प्राथमिकताअो का निर्धारण एक जैसा नही हो सकता है
अावश्यकताअो के अनुरुप प्राथमिकताये भिन्न -भिन्न प्रकार की होती है
उचित पोषण ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,अावास व्यवस्था
व्यक्ति के जीवन के लिये मूल भूत अावश्यकता है
प्राथमिकताअो का निर्धारण उपरोक्त तथ्यो को देखकर किया जाता है
तो व्यक्ति हो या परिवार हो उनकी सफलता मे कोई संशय नही रहता
वर्तमान मे उपभोक्तावादी वातावरण मे व्यक्ति अपनी मूलभुत अावश्यकता के स्थान पर
विलासिता की वस्तुअो को महत्व देने लगा है
निर्वाचित सरकारे जनता की बुनियादी अावश्यताअो के 
स्थान पर बजट विलासिता की के मद मे अधिक वित्त की 
व्यवस्थाये करने मे लगी हुई है
जिसका परिणाम व्यक्ति अौर सामाजिक जीवन मे असंतोष 
अौर अाक्रोश उत्पन्न हो रहा है
जैसे छात्र के लिये शिक्षा ग्रहण करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये
व्यवसायी की प्राथमिकता एवम प्रतिबद्धता उसके व्यवसाय के लिये होनी चाहिये
किसी भी वस्तु का उत्पादन करने वाली संस्था द्वारा यदि वस्तुअो के उत्पादन तथा
उनकी गुणवत्ता की अोर ध्यान न देकर जन कल्याणकारी योजनाअो की
अोर ध्यान दिया गया तो प्राथमिकताये अनुचित प्रकार से निर्धारित होने से
उसकी व्यवसायिकता सफलता संदिग्ध रहेगी
स्थानीय या स्वायत्तशासी निकाय संस्थाअो की प्राथमिकताअो का क्रम
स्वच्छता ,जन स्वास्थ्य ,अधोसंरचना का विकास ,उध्यानो का निर्माण
तथा चौराहो का सौन्दर्यीकरण होना चाहिये
वास्तव मे वर्तमान मे कार्यशील उपरोक्त संस्थाये क्या प्राथमिकताये
इसी प्रकार से निर्धारित कर कार्य कर रही है ऐसा देखने मे नही अाता है
व्यक्ति, संस्था ,देश ,प्रदेश के द्वारा प्राथमिकताअो का जो क्रम निर्धारित
किया जाता है उसकी दिशा अौर दशा को दर्शाता है
राष्ट्र निर्माण की प्राथमिकताये क्या होनी चाहिये
यह हमारे संविधान निर्माताअो द्वारा प्रस्तावना
मौलिक अधिकारो तथा नीती निर्धारक तत्वो मे उल्लेखित किया है
वर्तमान मे व्यक्ति ,परिवार, समाज,संस्थानो, राष्ट्र मे जो दुष्परिणाम देखने मे अा रहे है
वे प्राथमिकताये निर्धारित न किये जाने से
या अनुचित प्रकार से प्राथमिकताअो के निर्धारण के कारण है