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Wednesday, September 30, 2015

विशेष दिखने की चाहत

 वर्तमान में कुछ लोगो में 
विशेष दिखने की चाहत दिखाई देती है 
भीड़ में स्वयं को भिन्न दिखाने के लिए 
लोग क्या क्या उपाय नहीं करते है 
विशेषकर यह प्रवृत्ति युवा पीढ़ी  में पाई जा रही है 
जो मात्र सुविधाओ तथा उत्कृष्ट जीवन शैली को 
अपना कर स्वयं को विशिष्ट श्रेणी का बताने का 
प्रयास करते है 
परन्तु वे भूल जाते है कि  
मात्र भौतिक सुविधाओ एवं ऊँचे रहन सहन से 
कोई व्यक्ति विशिष्ट नहीं हो जाता 
व्यक्ति को विशिष्टता  धारण करने के लिए व्यक्अपराधिक तिगत गुणों का विकास करना होता है 
बिना किसी पात्रता कर्म कौशल एवं मानवीय गुणों के जो व्यक्ति सुविधाओ के बल पर 
विशेष दिखना चाहता है 
वह जन मानस को भीतर तक
 प्रभावित नहीं कर पाता  है 
मात्र स्वयं को भ्रान्ति में ही डालता है 
अक्सर ऐसे युवा जो बिना किसी आधार के 
उच्च स्तर  की जीवन शैली की ओर  उन्मुख होते है 
वे कालान्तर में अपनी महंगे शौक और व्यसनों से ग्रस्त होकर अपराध कृत्यों में लिप्त हो जाते है 
इसलिए विशिष्टता व्यक्तित्व होती है साधनो के बल पर कोई भी व्यक्ति विशिष्ट नहीं हो सकता

Friday, September 25, 2015

गणेश जी सृजन धर्मिता के प्रतीक

गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण
 जितना सहज सरल है 
उनका व्यक्तित्व भी उतना ही सहज है सरल है 
गणेश जी की प्रतिमा निर्माण में जितने प्रयोग हुए है 
उतने प्रयोग किसी भी शिल्प निर्माण में नहीं हुए है 
यथार्थ में कहो तो 
गणेश जी सृजन कर्म  के देव है 
जो आमंत्रित करते है 
सृजन और शिल्प के लिए है 
सृजन कर्म  में यदि लचीलापन और प्रयोग धर्मिता की गुंजाईश नहीं हो तो 
नवीन विधाए कभी भी 
अपना स्थान नहीं बना सकती है 
और सृजन की असीम सम्भावनाओ पर
 विराम चिन्ह लग जाते है 
गणेश जी ने उनकी प्रतिमा के शिल्प निर्माण के माध्यम से सृजन कर्म को पूरी स्वतंत्रता प्रदान की है इसलिए गणेश चतुर्थी के पर्व से लगा कर 
अनंत चतुर्दशी के मध्य के समय को हम सृजन धर्मियों का उत्सव कहे तो 
अतिश्योक्ति नहीं होगी 
गणेश जी अर्थात गणाध्यक्ष 
गणाध्यक्ष अर्थात समूहों का नेतृत्व करने वाला 
गणेश जैसा व्यक्तित्व पाकर
 कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व में नेतृत्व क्षमता का गुण  समाहित कर सकता है 
गणेश जी की प्रतिमा का सृजन से विसर्जन करना 
यह दर्शाता है कि 
 किसी भी पदार्थ के प्रति आसक्ति ठीक नहीं
वृहद लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपनी प्रिय वस्तु  का त्याग करने में भी संकोच नहीं करना चाहिए 

Sunday, September 6, 2015

विष्णु वराह मंदिर मझौली


 भगवान विष्णु के वराह अवतार के विश्व में कई मंदिर है।  परन्तु ग्राम मझौली  जबलपुर मध्यप्रदेश में स्थित वराह देव की प्रतिमा अत्यंत विशालकाय और चमत्कारी है।  यह प्रतिमा ग्यारही शताब्दी की काले पत्थर से निर्मित है। 
उत्कृष्ट शिल्प की प्रतीक इस प्रतिमा की विशेषता यह है ,की वराह देव की थूंथन के अधो भाग पर भगवान शेषनाग विराजित है।  जिनके नीचे भगवान यो नारायण प्रतिष्ठित है यह प्रतिमा काले रंग के दुर्लभ प्रजाति के पत्थर पर बनी  है स्थानीय लोगो की किवदंती यह है कि  गाँव के समीप एक सरोवर को में ढीमर युवक को मत्स्य  आखेट करते हुए यह प्रतीमा लघु आकार में मिली थी शनै  शनै इसके आकर में विस्तार होते वर्तमान स्वरूप पाया मझौली ग्राम जबलपुर से मात्र ४५ कि. मी  की दूरी पर स्थित है सुन्दर रमणीक पहाड़ियों के मध्य गुजरते हुए सड़क मार्ग से प्रकृति के अंश में ईश्वरीय शक्तियों को अनुभूति होती है