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Thursday, October 22, 2015

दशहरे पर राम की खोज

विजयादशमी जिसे दशहरा भी कहा जाता है
दशहरा इसलिए 
क्योकि इस दिन बुराईयो के प्रतीक  
रावण का दहन किया जाता है
 दहन वह विनिष्टिकरण की प्रक्रिया है
 जिससे कोई वस्तु वापस दूसरे रूप में 
प्रगट नहीं हो पाती है
 रावण का दहन इसलिए किया जाता है
 ताकि बुराइया समूल नष्ट हो जाए 
पुन अंकुरित होकर परिवर्तित रूप में 
प्रगट न हो पाये ।
विजयादशमी पर दशहरा इसलिए मनाया जाता है क्योकि जब हम बुराइयो का नाश करते है 
तब हम दशो दिशाओ से सुरक्षित हो जाते है
 दशहरे पर श्रीराम के रूप धर कर 
रावण के पुतले का दहन किया जाता है
 ऐसा इसलिए कि बुराइयो को दूर रखने की सामर्थ्य उसी व्यक्ति में होती  है
जो व्यक्ति शुचिता  और सत्य का स्वरूप होता है 
जो व्यक्ति स्वयं कई प्रकार की बुराईयो से
 घिरा होता है 
उस व्यक्ति से बुराईयो को समाप्त करने की
 न तो अपेक्षा की जाती है
 नहीं उसे ऐसा अधिकार दिया जाता है 
यदि ऐसा किया जाता है 
तो बड़ी बुराई को ख़त्म करने के लिये 
छोटी बुराई को प्रोत्साहित करने जैसा ही होगा ।
ऐसी स्थिति में कालान्तर में 
छोटी बुराई के बड़ी बुराई में बदलने की 
पूर्ण संभावना विद्यमान रहती है 
वर्तमान में इसी कारण से बुराईया 
समाप्त नहीं हो पा रही है ।
हमें बुराईयो समाप्त करने के लिए अपने बीच में 
छुपे राम को 
अपने भीतर के राम को ढूंढना होगा

बुध्दि युक्ति विवेक और चेतना

बुध्दि से युक्ति 
बुध्दि से विवेक
 बुध्दि से चेतना जाग्रत होती है 
जब किसी व्यक्ति का बुरा समय आता है तो 
उसकी बुद्धि भ्रष्ट होती है
 बुद्धिमान व्यक्ति दूरदर्शी होता है
बुद्धि मान वह नहीं है जो षड्यंत्रकारी हो 
बुद्दिमान और धूर्त्त व्यक्ति में अंतर होता है 
बुध्दि ही वह तत्व है 
जो आत्मा को शुध्द करती है 
तत्काल निर्णय लेने की क्षमता 
जिस व्यक्ति में होती है
 उसे प्रत्युत्पन्नमति कहा जाता है 
यह बिना ईश्वरीय कृपा से संभव नहीं है 
बुद्धि जनित चेतना से हमें शक्ति प्राप्त होती है 
बुध्दि जनित युक्तियां 
हमें समस्याओ से मुक्त होने का मार्ग बताती है
 बुद्धि जनित विवेक हमें 
आत्म ज्ञान तत्वज्ञान और ज्ञान विज्ञान को 
ग्रहण करने की सामर्थ्य प्रदान करता है 
इसलिए सर्वश्रेष्ठ ईश्वरीय कृपा का पात्र 
वह व्यक्ति है जो बुध्दिमान हो