विजयादशमी जिसे दशहरा भी कहा जाता है
दशहरा इसलिए
दशहरा इसलिए
क्योकि इस दिन बुराईयो के प्रतीक
रावण का दहन किया जाता है
दहन वह विनिष्टिकरण की प्रक्रिया है
जिससे कोई वस्तु वापस दूसरे रूप में
प्रगट नहीं हो पाती है
रावण का दहन इसलिए किया जाता है
ताकि बुराइया समूल नष्ट हो जाए
पुन अंकुरित होकर परिवर्तित रूप में
प्रगट न हो पाये ।
विजयादशमी पर दशहरा इसलिए मनाया जाता है क्योकि जब हम बुराइयो का नाश करते है
तब हम दशो दिशाओ से सुरक्षित हो जाते है
दशहरे पर श्रीराम के रूप धर कर
रावण के पुतले का दहन किया जाता है
ऐसा इसलिए कि बुराइयो को दूर रखने की सामर्थ्य उसी व्यक्ति में होती है
जो व्यक्ति शुचिता और सत्य का स्वरूप होता है
जो व्यक्ति शुचिता और सत्य का स्वरूप होता है
जो व्यक्ति स्वयं कई प्रकार की बुराईयो से
घिरा होता है
उस व्यक्ति से बुराईयो को समाप्त करने की
न तो अपेक्षा की जाती है
नहीं उसे ऐसा अधिकार दिया जाता है
यदि ऐसा किया जाता है
तो बड़ी बुराई को ख़त्म करने के लिये
छोटी बुराई को प्रोत्साहित करने जैसा ही होगा ।
ऐसी स्थिति में कालान्तर में
छोटी बुराई के बड़ी बुराई में बदलने की
पूर्ण संभावना विद्यमान रहती है
वर्तमान में इसी कारण से बुराईया
समाप्त नहीं हो पा रही है ।
हमें बुराईयो समाप्त करने के लिए अपने बीच में
छुपे राम को
अपने भीतर के राम को ढूंढना होगा