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Sunday, June 8, 2014

वामन अवतार में जीवन दर्शन

प्राचीन हिन्दू ग्रंथो में उल्लेख आता है |  
भगवान विष्णु के वामन अवतार 
जो दैत्य वंश के राजा बलि के द्वार पर 
एक बौने ब्राह्मण का रूप धारण करके
 भिक्षा माँगने के लिए गए थे 
और उन्होंने तीन पग धरती मांगी थी
 राजा बलि द्वारा तीन पग धरती दान देते ही
 भगवान विष्णु ने अपना बौना रूप त्याग कर 
विशाल रूप धारण किया इतना विशाल की 
पैर धरती पर थे और मस्तक अनंत आकाश की ऊंचाई पर 
उक्त दृष्टान्त से हमारे व्यवहारिक जीवन का 
बहुत गहरा सम्बन्ध है |  
  सामान्य रूप से जो लोग ऊँचे सपने सजाया करते है|  
   वे यह नहीं जानते की हमें कहा छोटा होना है  
 और कहा बड़ा होना
  हर जगह बड़प्पन के अहंकार में रहना उचित नहीं है 
यदि जीवन में उपलब्धिया प्राप्त करनी हो तो 
अपना स्वरूप लघु कर लेना चाहिए |
  इस सिध्दि का प्रयोग पवन पुत्र हनुमान जी ने कई बार किया 
और वांछित कार्य में सफलता प्राप्त की 
 इसी प्रकार उपरोक्त दृष्टान्त हमे यह भी सिखाता है
 हम कितने ही बड़े व्यक्ति बन जाए 
हमारे पैर  यथार्थ के धरातल पर ही टिके रहना चाहिए 
पर चिंतन का स्तर वामन अवतार के ऊंचाई धारण करने वाले
 मस्तक के साम होना चाहिए