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Wednesday, July 4, 2012

जय भारत ! जय महा भारत !

महाभारत कथा के बारे मे यह भ्रान्ति है कि
इसकी पुस्तक जिस घर मे रखी जाती है उसका वातावरण
कलह पूर्ण हो जाता है
महाभारत ग्रन्थ के बारे मे यह भी कहा जाता है कि
यह युद्ध का ग्रन्थ है
पारिवारिक विवादो की दास्तान है
उक्त विषयो पर पुन द्रष्टिपात की आवश्यकता है
वास्तव मे महाभारत कथा परिवार के विखंडन के स्थान पर 
परिवार व्यवस्थापन सिखाता है
महाभारत मे दो भाईयो अर्थात पाण्डु एवम
 ध्रतराष्ट् के पुत्रो के बीच सत्ता संघर्ष की कथा को
सत्य और असत्य के बीच युद्ध के रूप मे उल्लेखित करता है
इसके अतिरिक्त पाण्डव पक्ष हो या कौरव पक्ष दोनो पक्ष मे 
उनके मध्य पारिवारिक एकता अन्यत्र दुर्लभ है
कौरव दल मे सौ भ्राता थे वे आपस मे कभी नही लडे 
उन्होने दुर्योधन को अपना प्रतिनिधि तथा परिवार का कर्ता-धर्ता
नियुक्त कर दिया था परिवार से सारे निर्णय दुर्योधन ही लेता था
चाहे उसके से कौरव दल ने कितनी ही क्षति उठाई हो 
पर सभी कौरव भ्राता अंत तक एक साथ रहे
दूसरा पक्ष पाण्डवो का था अक्सर यह देखने मे आता है 
किपरिवार मे एक से अधिक भाईयो कि अपनी अपनी पत्निया होती है
फिर भी औरतो के कारण उनमे परस्पर विवाद होते है
पाण्डव भ्राता जो संख्या मे पाच थे
के बारे मे मान्यता है की उन सभी कि एक पत्नि द्रोपदि थी
फिर क्यो उनके बीच विवाद नही हुये
इसमे अवश्य द्रोपदि की महानता द्रष्टिगत होती है
जिन्होने पाचो भाईयो को एक सूत्र मे पिरो कर रखा
द्रोपदि उस महिला का प्रतीक है
जो परिवार मे किसी भी कीमत पर एकता बनाये रखे
महाभारत मे छुपे इस तथ्य को किसी ने नही समझा
पाण्डव भ्राता ने अपने परिवार के निर्णयो हेतु वरिष्ठ भ्राता
युधिष्ठर को अधिकृत  कर रखा था
भीम और अर्जुन कितने ही बलशाली थे
उन्होने युधिष्ठर के निर्णयो सदा शिरोधार्य किया
इसलिये महाभारत विवादो ग्रन्थ न होकर
पारिवारिक एकता का ग्रन्थ है
तथा सत्य और असत्य के बीच संग्राम की महा कथा है
सत्य और असत्य मे सदा संघर्ष चला है ,चलता रहेगा
जय भारत ! जय महा भारत !