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Tuesday, April 21, 2015

नदी की तरह जिओ

नदी  की तरह व्यक्ति का जीवन हो तो 
जीवन में कभी निराशा का भाव नहीं रह पाता  है 
जीवन में निराशा के पल आ भी जाए तो 
बहती हुई नदी के किनारे बैठ कर 
उसे  निहारने से वह भी चला जाता है 
नदी की उतरती चढ़ती लहरे यह बताती है 
कि जीवन में दुःख और सुख के उतार और चढ़ाव 
कितने भी आ जाए 
व्यक्ति को नदी की तरह गतिशील रहना चाहिए 
जो लोग नदी में कूद कर आत्म ह्त्या कर लेते है 
उन्हें कुछ पल रुक कर नदी के किनारे बैठकर 
अपने निर्णय  कुछ देर अवश्य करना चाहिए 
इस बात की को पुरे विश्वास  के साथ कह सकते हैकि 
व्यक्ति नदी के भीतर की चेतना को निहारने के बाद 
कितना भी निराश हो आत्म ह्त्या नहीं करेगा
 इसलिए कहते है की पवित्र नदी में स्नान से ही नहीं 
अपितु दर्शन मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है 
गतिशील नदी अपने जल का परिशोधन स्वयं करती  है 
वह सक्षम है
 परन्तु उसे किसी प्रकार प्रवाह में अवरोध नहीं चाहिए 
नदी की यह क्षमता व्यक्ति को स्वयं के जीवन में 
आत्मसात करनी चाहिए 
यदि व्यक्ति नदी तरह अपने जीवन में गतिशील रहे तो 
जीवन से सारे विकार शनैः शनै समाप्त हो जायेगे 
ठीक उसी प्रकार से ऊर्जा का संचार हो जाएगा 
जिस प्रकार से नदी के प्रवाहित जल से
 अद्भुत विद्युत ऊर्जा उतपन्न हो जाती है 
नदी अपना रास्ता स्वयं नहीं चुनती मात्र दिशा तय करती  है 
उसे मालुम है उसे कहा जाना है
 रास्तो की जटिलता उसे विचलित कर सकती
 इसके विपरीत रास्तो की भौगोलिक स्थितियां का 
वह लाभ उठा कर प्रवाह को प्रबल कर लेती है 
इसलिए नदी की तरह जिओ