अभिवादन का प्रयोग भिन्न -भिन्न भावो के लिए
भिन्न भिन्न श्रेणियों के व्यक्तियों के लिए
विभिन्न प्रकार से किये जाते है भारतीय संस्कृति में अभिवादन का एक प्रकार यह है कि
किसी व्यक्ति को दोनों हाथ जोड़कर हाथो को अपने ह्रदय के निकट रखते हुए अपने सम्मुख व्यक्ति को नमन करना
किसी व्यक्ति को दोनों हाथ जोड़कर हाथो को अपने ह्रदय के निकट रखते हुए अपने सम्मुख व्यक्ति को नमन करना
इस प्रकार का अभिवादन का आशय यह है कि जिस व्यक्ति क़ा हृदय मे स्थान हों उस हृदय से नमन करना चाहिए
ह्रदय प्रेम ,विश्वास ,और आस्था का प्रतीक होता है
इस प्रकार के अभिवादन से परस्पर प्रेम विश्वास और आस्था का
संचरण होता है
इस प्रकार के अभिवादन से परस्पर प्रेम विश्वास और आस्था का
संचरण होता है
उसी प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा अपने आस-पास के परिवेश में
बिखरती है
बिखरती है
दुसरे प्रकार का अभिवादन सुरक्षा बलो के सदस्य द्वारा राष्ट्रिय ध्वज तथा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सावधान की मुद्रा में सिर की दाहिनी कनपट्टी पर दाहिने हाथ को लगा कर किया जाता है
हमारे मानव शरीर में सिर चेतना बुध्दी क़ा प्रतीक होता है और हाथ कर्म के प्रतीक
सभी.सुरक्षा,से जुड़े कर्मचारियों को अपने वरिष्ठ एवं देश तथा समाज
के प्रतीक राष्ट्र ध्वज को निरंतर यह आश्वस्त रखना चाहिए की वह अपने मन वचन कर्म से देश एवं समाज की रक्षा के लिए प्रतिबध्द है
अभिवादन का यह प्रकार की सांकेतिक दृष्टि से एक हाथ थोड़ा आगे कर दुसरे व्यक्ति से मिलाने
का आशय यह हाथ सहयोग का प्रतीक होता है
दो व्यक्तियों द्वारा परपरस्पर सहयोग का भाव दर्शाने हेतु
इस प्रकार के अभिवादन का प्रयोग किया जाता है
कभी कभी हम देखते है
व्यक्ति जल्दबाजी में मात्र सांकेतिक दृष्टि से दाहिने हाथ को सिर की उंचाई तक लेकर अभिवादन करता है
इसका उपयोग तब किया जाता है
इसका उपयोग तब किया जाता है
जब व्यक्ति किसी कार्य विशेष करने की और अग्रसर हो
और उसके पास समयाभाव हो
परन्तु शिष्टाचार वश अभिवादन किया जाना भी आवश्यक हो और सामने वाला व्यक्ति महत्वपूर्ण भी नहीं हो
अभिवादन की सर्वश्रेष्ठ शैली चरण स्पर्श की होती है
अभिवादन की सर्वश्रेष्ठ शैली चरण स्पर्श की होती है
जो सदा अपने माता -पिता ,शिक्षक,अपने श्रध्देय व्यक्तियों के लिए प्रयोग में लाई जाती है
इस अभिवादन का व्यक्ति को बहुत सोच समझ कर उपयोग करना चाहिए
इस अभिवादन का व्यक्ति को बहुत सोच समझ कर उपयोग करना चाहिए
क्योकि उत्तम श्रेणी के व्यक्तियों के चरण स्पर्श से जहा हमें ऊर्जा मिलती है
वही अधम श्रेणी के चरण स्पर्श से हमारी आंतरिक ऊर्जा का नाश होता है
चरण स्पर्श के माध्यम से हम समर्थ एवं योगी पुरुषो से अपने कुण्डलिनी का जागरण करते है
चरण स्पर्श के माध्यम से हम समर्थ एवं योगी पुरुषो से अपने कुण्डलिनी का जागरण करते है
क्योकि चरण स्पर्श की मुद्रा में हमारा मस्तक और हाथ समर्थ व्यक्ति के चरणों में होते है
और उनके हाथ हमारे सिर पर स्थित कुण्डलिनी के शीर्ष सहस्त्रार चक्र पर होते है
जिससे हमारे भीतर दिव्य शक्तिया जाग्रत होती है
इसलिए समर्थ पुरुष को अनेक लोग चरण स्पर्श करते है
किन्तु वे अपना हाथ केवल सुपात्र व्यक्ति के सिर पर ही रखते है
किन्तु वे अपना हाथ केवल सुपात्र व्यक्ति के सिर पर ही रखते है