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Saturday, March 24, 2018

प्रेम के कई प्रतिरूप है प्रतिमान है


प्रेम यदि पूजा हो तो प्रेरणा प्रदान कर 

वह ऊर्जा बन जीवन को प्रकाशित करता है 

प्रेम यदि  कामना हो तो वह व्यसन बन 

व्याभिचार की और ले जाता है 

प्रेम यदि  भक्ति हो तो शक्ति बन जाता है 

मन की शक्ति व्यक्ति को आध्यात्मिक उत्थान की ले जाती है

प्रेम यदि वात्स्ल्य हो तो

 ममता और पोषण प्रदान कर स्वास्थ्य प्रदान करता है 

प्रेम यदि करुणा हो तो 

आँसू  बन कर सम्पूर्ण मानवता को सींच देता है 

प्रेम यदि सेवा हो तो

 वह कर्म बन धर्म को जागृति देता है 

प्रेम यदि आशीर्वाद बन जाए तो 

भिक्षा में शिक्षा की दीक्षा प्रदान कर 

शिष्य को सम्पूर्णता प्रदान कर देता है

प्रेम के कई प्रतिरूप है प्रतिमान है 

प्रेम की प्रतिष्ठा है प्रेम से ही जीवन गतिमान है 

प्रेम की भावना जीवंत है वसंत है 

प्रेम  स्वयं ही एक धर्म है एक पंथ है