जीवन सभी प्रकार की अनुकूलताओ से भरा हो
यह संभव नहीं है
जहा गरीब आदमी के पास स्वास्थ्य होता है
उसके पास धन नहीं होता
जहा धनवान व्यक्ति के पास सभी प्रकार की सुविधाए होती
वह अच्छे स्वास्थ्य स्वामी हो
यह आवश्यक नहीं
किसी व्यक्ति को संतान सुख हो
उसकी संताने आज्ञाकारी हो ,यह आवश्यक नहीं
पत्नी सौन्दर्य की स्वामिनी हो
उस पत्नी में स्त्रियोचित गुण हो ,यह आवश्यक नहीं
ज्ञान के साथ विवेक हो ,यह सदा नहीं होता
कोई व्यक्ति फूटपाथ पर भूख के कारण रोता है
तो कोई व्यक्ति महल में भी चैन की नींद नहीं सोता
गरीबी के परिवार में परस्पर विश्वास का भाव बना रहता
वही परिवार सम्पन्न होने पर एक दूजे का विशवास खोता
गरीब आदमी की अपनी समस्याए है
धनी व्यक्ति की अपनी अनकही व्यथाए है
अधिक आय से कहा अधिक सुख मिल पाया है
अल्प आय में भी कोई सही ढंग कोई जी पाया है
जो अभावो में मित्र रहे है
अभावो में जिन्होंने साथ रह कर दुःख सुख सहे है
वे समृध्दी के पलो में साथी नहीं रहे है
समृध्दी सदा व्यक्ति को लुभाती क्यों है?
कथाये प्रेम और सौन्दर्य की सभी को सुहाती क्यों है ?
प्रेम पथिक को बाद में जिंदगी रुलाती क्यों है ?
सज्जनता सज्जनों कमजोरी क्यों कहलाई
बुराईयों पर अच्छाईयों पर विजय कहानियों में ही क्यों हो पाई ?
इन सभी प्रश्नों के मिल पाए कहा पर हल है
सूर्य परिश्रम के बल उगता फिर भी क्यों वह अस्ताचल है
प्रश्नों की भीड़ में कोई हो जबाब तो सोचो
जबाब की तलाश करो या भाग्य की रेखाओं को खरोंचो
जबाब केवल एक है संघर्ष ही जीवन है
संघर्ष में ही निखरता व्यक्तित्त्व बनता नरोत्तम है
यह संभव नहीं है
जहा गरीब आदमी के पास स्वास्थ्य होता है
उसके पास धन नहीं होता
जहा धनवान व्यक्ति के पास सभी प्रकार की सुविधाए होती
वह अच्छे स्वास्थ्य स्वामी हो
यह आवश्यक नहीं
किसी व्यक्ति को संतान सुख हो
उसकी संताने आज्ञाकारी हो ,यह आवश्यक नहीं
पत्नी सौन्दर्य की स्वामिनी हो
उस पत्नी में स्त्रियोचित गुण हो ,यह आवश्यक नहीं
ज्ञान के साथ विवेक हो ,यह सदा नहीं होता
कोई व्यक्ति फूटपाथ पर भूख के कारण रोता है
तो कोई व्यक्ति महल में भी चैन की नींद नहीं सोता
गरीबी के परिवार में परस्पर विश्वास का भाव बना रहता
वही परिवार सम्पन्न होने पर एक दूजे का विशवास खोता
गरीब आदमी की अपनी समस्याए है
धनी व्यक्ति की अपनी अनकही व्यथाए है
अधिक आय से कहा अधिक सुख मिल पाया है
अल्प आय में भी कोई सही ढंग कोई जी पाया है
जो अभावो में मित्र रहे है
अभावो में जिन्होंने साथ रह कर दुःख सुख सहे है
वे समृध्दी के पलो में साथी नहीं रहे है
समृध्दी सदा व्यक्ति को लुभाती क्यों है?
कथाये प्रेम और सौन्दर्य की सभी को सुहाती क्यों है ?
प्रेम पथिक को बाद में जिंदगी रुलाती क्यों है ?
सज्जनता सज्जनों कमजोरी क्यों कहलाई
बुराईयों पर अच्छाईयों पर विजय कहानियों में ही क्यों हो पाई ?
इन सभी प्रश्नों के मिल पाए कहा पर हल है
सूर्य परिश्रम के बल उगता फिर भी क्यों वह अस्ताचल है
प्रश्नों की भीड़ में कोई हो जबाब तो सोचो
जबाब की तलाश करो या भाग्य की रेखाओं को खरोंचो
जबाब केवल एक है संघर्ष ही जीवन है
संघर्ष में ही निखरता व्यक्तित्त्व बनता नरोत्तम है