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Saturday, October 25, 2014

दीपावली कब सार्थक है

जहा आत्मीयता समाप्त हो जाती है 
वहा ओपचारिकता प्रारम्भ होती है 
आत्मीयता पूर्ण सम्बन्ध निश्छल व्यवहार की आशा रखते है 
कृत्रिम रूप से धारण की गई मधुरता से 
आत्मीय रिश्ते कभी विकसित नहीं किये जा सकते है 
दीपावली और होली जैसे त्यौहार रिश्ते में
 आत्मीयता जाग्रत करने के पर्व है 
जिन रिश्तो में संवाद समाप्त हो चुके है
 उनके बीच संवाद के सेतु बनाये रखने के पर्व है 
वर्तमान में जहा कुछ रिश्ते केवल नाम के रह गए है 
रिश्तो के नाम पर रिश्तो के शव रह गए है 
वहा थोड़ा सा संवाद ही मृत रिश्तो में प्राण फूंक देता है 
दीपावली के फटाके तो रिश्तो में जागृत लाने के प्रतीक है 
मन से सभी प्रकार के भय दूर कर देने का प्रयास है 
इसलिए त्यौहारो में निहित भाव को हम समझ पाये तो
 हमारे त्यौहार सार्थक है 
रिश्तो के भीतर की ऊष्मा को संवाद से बचा पाये तो 
दीपावली सार्थक है