सौंदर्य उसके लिए है
जो दृष्टि समन्न हो
वैचारिक दृष्टि से नहीं विपन्न हो
आनंद उसके लिए है
जिसके भीतर अमृत तत्व है
जो दृष्टि समन्न हो
वैचारिक दृष्टि से नहीं विपन्न हो
आनंद उसके लिए है
जिसके भीतर अमृत तत्व है
सकारात्मक सोच हो रमा हुआ सत्व है
लक्ष्य उनके लिए
जिन्हें दिखते उतुंग शिखर हो
बहता हो श्रम सीकर प्रतिभा प्रखर हो
ज्ञान उसके लिए जिन्हें जिज्ञासा हो
सदा रहे अतृप्त अनंत पिपासा हो
जीवन उसके लिए जो गतिमान हो
रचते रहे निरंतर अनेक प्रतिमान हो