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Tuesday, March 25, 2014

शिव को नाग क्यों प्रिय है

भगवान् शिव को नाग क्यों प्रिय है 
नाग वह प्राणी है जो भीतर से जैसा होता है 
वैसा दिखाई देता है 
नाग के भीतर जहर होता है 
परन्तु वह अकारण किसी को नहीं डसता
नाग केवल उन्ही को डसता जो उस पर प्रहार करते है 
नाग भगवान् शिव को इसलिए भी प्रिय है क्योकि 
वह पूर्ण रूप से दंडवत मुद्रा में धरती के समतल चलता है 
ध्वनि के कम्पन से वह अपनी गति और दिशा तय कर लेता है 
भगवान् शिव को ऐसे व्यक्ति अत्यंत प्रिय होते है 
जो भीतर से जैसे हो बाहर से भी वैसे हो 
अकारण किसी पर प्रहार न करे 
आस्था रखे तो पूर्ण रूप दंडवत भाव से 
आस -पास वातावरण तथा खतरों के प्रति पूर्ण रूपेण 
संवेदनशील तथा सचेत हो
नाग कुंडली बना कर फन ऊंचा उठा लेता है
अल्प छिद्र में से प्रवेश कर मार्ग बना लेता है 
तात्पर्य यह है कि अव्यवस्थायों रोना रोने के बजाय 
व्यक्ति को समय के अनुसार अपने आप को ढाल लेना चाहिए 
कैसी भी विषम परिस्थिति हो मार्ग निकाल लेना चाहिए