Total Pageviews

Wednesday, February 17, 2016

नर्मदा का हर कंकर शंकर क्यों?

नर्मदा का हर कंकर शंकर होता है यह कहना जितना आसान है इसका समझना इतना ही मुश्किल है मूलतः
शिव जी का ज्योतिस्वरूप जो पाषाण के शिवलिंग होते है नर्मदा नदी जब उसके उत्पत्ति स्थल अमरकंटक से निकलती तो वह अपने प्रवाह से अपने भीतर और तटो पर स्थित चट्टानों को चीरती हुई उन्हें तोड़ती हुई आगे बढती है जल की निर्मलता कोमलता का स्पर्श पाकर पाषाण की कठोरता द्रवित होने लगती है और वे सहज ही नैसर्गिक सौंदर्य को पा शिव स्वरूप को धारण करने लग जाते है इसका आशय यह है कि व्यक्ति कितना भी निष्ठुर और पाषाण ह्रदय हो निरन्तर करुणा और निर्मल निश्छल कोमल स्नेह को सतत प्राप्त करता है तो वह उसका बाहरी स्वरूप निखर जाता है उसके भीतर की पवित्रता को प्रतिबिंबित करता है नर्मदा के कंकर को शंकर बनते हुए आपने देखा है परन्तु हम आपको ऐसे शिवलिंग से परिचित कराना चाहते जो निरन्तर नर्मदा में जलमग्न रहते है वीडियो में  दर्शित शिवलिंग का दर्शन कर नर्मदा में  जलमग्न नर्मदेश्वर शिव शंकर के में निहित अद्भुत ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते है