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Sunday, January 8, 2017

सत पुरुष और सद्गुरु

जैसे ईश्वर से साक्षात्कार
सद्गुरु ही करा सकता है
वैसे ही सद्गुरु का साक्षात्कार
सत्पुरुष ही करा सकता है
सत्पुरुष के लक्षण क्या है?
सब जानते है परंतु व्यक्ति के बाह्य रूप से
सत्पुरुष की  पहचान नहीं की जा सकती है
सत्पुरुष की पहचान  क्या है?
जैसे लोह धातु का चुम्बक अपने सामान
गुणों से युक्त चुम्बक को आकर्षित कर लेता है
उसी प्रकार सत्पुरुष व्यक्ति को आकृष्ट
सत्पुरुष ही कर सकता है
सत पुरुष में सतगुण की वे तरंगे होती है
जिससे सतगुण से युक्त व्यक्ति
स्वतः खींचे चले आते है
यदि किसी व्यक्ति के बाह्य रूप से
सज्जनता परिलक्षित होती हो
परन्तु वह दुर्गुणों और व्यसनों से युक्त
व्यक्तियों से घिरा हो
उसको उन्ही लोगो में अच्छा लगता हो तो
यकीन मानिए वह व्यक्ति सत्पुरुष नहीं है
मात्र उसने सज्जनता का आवरण ओढ़ रखा है

Friday, January 6, 2017

चरित्र

व्यक्ति की पहचान उसके व्यक्तित्व से होती है
व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी आदतों से बनता है
अच्छी आदतें व्यक्ति को चरित्रवान
और बुरी आदतें व्यक्ति को दुश्चरित्र बना देती है
व्यक्ति के दुश्चरित्र की कीमत
उसके परिवार समाज
और कभी कभी राष्ट्र को चुकाना पड़ती है
जबकि चरित्रवान व्यक्ति परिवार समाज
और समाज को अपने चरित्र को उपकृत करता है
उसे सच्चरित्र होने की कीमत पग पग पर
चुकाना पड़ती है चरित्र की पवित्रता
व्यक्ति को मर्यादित रखती है
इसलिए वह पथ भृष्ट नहीं हो पाता
चारित्रवान व्यक्ति जिस पर अग्रसर होता है
वह पथ उसके पग से सुशोभित होता है
जिस गंतव्य की और प्रस्थान करता है
वह गंतव्य गरिमा प्राप्त करता है
जिस पद को प्राप्त करता है
वह पद उत्कृष्ट व्यक्ति के कृतित्व से
धन्य हो जाता है