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Tuesday, September 3, 2013

सत्य की मंजिल को पाना होगा

परिवेश में सकारात्मकता और नकारात्मकता 
दोनों बिखरी हुई है
 प्रश्न यह है कि हमें क्या पाना है
सकारात्मकता रहती सज्जनों के पास है
 नकारात्मकता में रहते दुर्गुण है 
दुर्जनों में उसका निवास है 
सकारात्मकता में सत्य की सत्ता है 
ओज है ऊर्जा है 
नकारात्मकता में नहीं अपनापन है
 परायापन अविश्वास है 
हर रिश्ता लगता दूजा है
 जीवन में यदि सकारात्मकता चाहते हो 
जीवन से नकारात्मक भाव हटाना चाहते हो तो 
सज्जनता की और प्रयाण करो 
दुर्जनता दुर्गुणों से रहो विमुख 
दुष्टों का कभी मत गुणगान करो 
जीवन को चारो और नकारात्मक वातावरण ने घेरा है
 नकारात्मकता  के अँधेरे  में यह सारा जग ठहरा है
सकारात्मक सोच में ही सृजन का  ध्वज फहरा है
बुरे  हालात में क्यों न कुछ  अच्छा से अच्छा किया जाए
बुराईयों के बीच रह कर जीवन सच्चा जिया जाए
बस यही सही सोच अपनाना होगा 
सकारात्मकता को अपनाकर ही 
 सत्य की मंजिल को पाना होगा